नवधा भक्ति | Navadha Bhkti
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जयदयाल गोयन्दका - Jaydayal Goyandka
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नवधा भक्ति श्छ
है । किन्तु ये सब क्रियाएँ नामके दस अपराधोंकों बचाते हुएक ०
दम्भरहित एवं जुद्ध मावनासे खाभाविक होनी चाहिये । |
( ... उपयुक्त कोतन-मक्तिको प्राप्त करके सबको भगवानूमें अनन्य प्रे
होकर उप्तकी प्राति हो जाय, इस उद्देश्से संसासमें इसका प्रचार
करना, यह इसका प्रयोजन है |
... कीतन-भक्ति भी ईश्वर एवं महापुरुषोंकी कृपासे ही प्र होती ` ।
है | इसलिये इस विषयमें उनकी कृपा ही हेतु है, क्योंकि भग नूके `
भक्तोके द्वारा भगवानके प्रेम, ग्रभात्र, तत्व और रहस्यकी बारीक
सुननेसे एवं शाद्लौको पषनेसे भगवानमें श्रद्वा होती है ओर तव मनुष्व ` (8
उपर्युक्त भक्तिको प्रात कर सकता है জন: भगवान् और उनके भक्तों- ২.
की दया प्राप्त करनेके ढिये उनकी आज्ञाका पावन करना चाहिये ` ৭
0 ই प्रकारकी केवढ कीर्तन-भक्तिसे मी मलुष्य परमात्ाकी
.. दयासे उसमें अनन्य श्रेम करके उसे प्राप्त कर सकता है | गीते
मगवानूने कहाहै--- कक
# सन्निन्दासति नामवेमवकथा ओशेशयोमेंद्घी
` रश्रद्धा श्रुतिशच्रदेरिकगियं नाज्नयर्थवादभ्रमः } `
नामास्तीति निषिद्धवृत्तिविहितत्यागो हि. धर्मान्तरे
साम्यं नाम्नि जपे शिवस्य च हरेर्नामापराधा दश || या
हम सत्पुरुषोंकी निन््दा; अश्रद्धाहुओंमें नामकी महिमा कहना; विष्ण और 1.8,
शिवमें भेदबुद्धि, वेद, शास्त्र और गुरुकी वाणी में अविश्वास, हरिनामर्में अर्थाद- |
. का श्रम अर्थात् केवल स्तुतिमात्र है ऐसी मान्यता, नामके बरसे विहवितका আয়...
User Reviews
No Reviews | Add Yours...