पदमपुराण | Padmapuran Vol. - Ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
478
श्रेणी :
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No Information available about पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषयानुकसणिका 18
सत्तावनवाँ प्व
लंका निवापतिनी सेनाकी तैयारी तथा लंकासे बाहर निकलनेका वर्णन | ३६१-३६६
अद्ावनबँ पव
नल श्रौर नीहके द्वारा इत शरोर प्रहस्तका मारा जाना । ३६७-३७०
उनसठवाँ पर
श्रेणिकके पूछने पर गौतम खामी दवारा हस्त-महस्त और नत्न-नीछके पूर॑भवोंका वर्णन । ३७१-१७३
सानौ पव
श्रनेक रासोका माय जाना तथा राम सदम दिव्या तथा सिहवाहिनी श्रौर गर्डवाहिनी
विद्याओंकी प्राप्तिका वर्णन । ৬. ও ३७४-३८४
श्केंसट्वी एच
सुग्रीव और भामए्ठलका नागपाशसे बाँधा जाना तथा राम-ल्द्मणके प्रभावसे उनका बन्धन-
मुक्त होना | ३८५-३८७
भासौ परव
वानर श्नौर रासवंशी राजाश्रोंका युद्ध, विभीषण और रावण॒का संबाद, येदव्रोकी रणोन्मादिनी
चेष्ट भौर रावणे द्वारा शिका चलाया जाना । शक्तिके हगनेसे सदभणका भूत हो
पुथिवी पर गिर पड़ना ति ३८८-३६५
কিবা হব
शक्ति निहत लद्मणको देख राम विज्ञाप करते हैं। ३९६१९
चौसटनौ पव
इनद्रनित् मेषवाहन तथा कुम्भक्णके मरेकी श्राशकासे राय दुखी हता ६ । लक्मणके घायल
होनेका समाचार सुन सीता भी बहत दुखी हूर । एक ्रपरिचित मनुष्य द्वारा लदमणकी
शक्ति निकालनेका उपाय बताया जाता है, वह अपना परिचय देता है। विशल्याके पूर्वभवों
तथा उसके वर्तमान प्रभावका वर्णन कर वह रामको सान्लना देता है। ३६६-४०७
4 पैठ पव
ठस श्रपरिचिते प्रतिचन्द्र बि्याधरके वचनेसि दर्षित हो रामने दनूमान् भामण्डल् तथा अंगदको
तत्काल भैजा । अयोध्यामें क्ञोम पौल जाता है। अनन्तर द्रोणमेघके पास भरतकी
मां स्वयं गई और विशल्याको लंका मेजनेको व्यवस्था की | विशल्याके लंका पहुँचते ही
मणक वच्तःस्थलसे शक्ति निकल कर दूर हो गई और रामकी सेनाम षं छा गया ।
विशल्याका ्दूमणके साथ विवाह हुआ | ४०८-४१४
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