पदमपुराण | Padmapuran Vol. - Ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Padmapuran Vol. - Ii by पंडित पन्नलाल जैन - Pandit Pannalal Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं पन्नालाल जैन साहित्याचार्य - Pt. Pannalal Jain Sahityachary

Add Infomation AboutPt. Pannalal Jain Sahityachary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
विषयानुकसणिका 18 सत्तावनवाँ प्व लंका निवापतिनी सेनाकी तैयारी तथा लंकासे बाहर निकलनेका वर्णन | ३६१-३६६ अद्ावनबँ पव नल श्रौर नीहके द्वारा इत शरोर प्रहस्तका मारा जाना । ३६७-३७० उनसठवाँ पर श्रेणिकके पूछने पर गौतम खामी दवारा हस्त-महस्त और नत्न-नीछके पूर॑भवोंका वर्णन । ३७१-१७३ सानौ पव श्रनेक रासोका माय जाना तथा राम सदम दिव्या तथा सिहवाहिनी श्रौर गर्डवाहिनी विद्याओंकी प्राप्तिका वर्णन । ৬. ও ३७४-३८४ श्केंसट्वी एच सुग्रीव और भामए्ठलका नागपाशसे बाँधा जाना तथा राम-ल्द्मणके प्रभावसे उनका बन्धन- मुक्त होना | ३८५-३८७ भासौ परव वानर श्नौर रासवंशी राजाश्रोंका युद्ध, विभीषण और रावण॒का संबाद, येदव्रोकी रणोन्मादिनी चेष्ट भौर रावणे द्वारा शिका चलाया जाना । शक्तिके हगनेसे सदभणका भूत हो पुथिवी पर गिर पड़ना ति ३८८-३६५ কিবা হব शक्ति निहत लद्मणको देख राम विज्ञाप करते हैं। ३९६१९ चौसटनौ पव इनद्रनित्‌ मेषवाहन तथा कुम्भक्णके मरेकी श्राशकासे राय दुखी हता ६ । लक्मणके घायल होनेका समाचार सुन सीता भी बहत दुखी हूर । एक ्रपरिचित मनुष्य द्वारा लदमणकी शक्ति निकालनेका उपाय बताया जाता है, वह अपना परिचय देता है। विशल्याके पूर्वभवों तथा उसके वर्तमान प्रभावका वर्णन कर वह रामको सान्लना देता है। ३६६-४०७ 4 पैठ पव ठस श्रपरिचिते प्रतिचन्द्र बि्याधरके वचनेसि दर्षित हो रामने दनूमान्‌ भामण्डल् तथा अंगदको तत्काल भैजा । अयोध्यामें क्ञोम पौल जाता है। अनन्तर द्रोणमेघके पास भरतकी मां स्वयं गई और विशल्याको लंका मेजनेको व्यवस्था की | विशल्याके लंका पहुँचते ही मणक वच्तःस्थलसे शक्ति निकल कर दूर हो गई और रामकी सेनाम षं छा गया । विशल्याका ्दूमणके साथ विवाह हुआ | ४०८-४१४




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now