अभिनिष्क्रमअनम महाकाव्यम | Abhinishkramanm Mahakavyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
296
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सर्वेन्द्रिसंयम-साधनासंलग्न-मी ठालाल मुनेः-
अभिमतम्
साधनाप्रवणेन पटुव्यवहारचणेन धिषणाधनेन मुनिना चन्दनेन
गुस्फितिमभिनिष्करमणाख्य' समप्तदगसमुच्छ्वासमय' गद्यकान्य
प्रारम्भग्रान्त मननपुरस्सर पट्त्वा मम स्वान्त अत्यधिक कान्त
समजनि 1 तेरापन्ध-प्रवत्तक महामनससाचायेकिरीट “भिक्षुस्वामिन-
मधिकृत्य सन्हव्धमेतत् कान्य महाकाव्य-तुलामधिरोहति 1
काव्यस्याऽस्य सरससरलललिताऽभिनवभापाप्रवाहुः स्वस्याउद्देती -
यीकतामाविभवियन् पाठकाना चेतासि सद्य स्वव्शीकरोतितमाम् ।
यथार्थताचित्रणपरायणा सर्वव्राऽ्लथा विनदाऽस्य वर्णनशैली
प्रारम्भोपान्तसहनी स्वक्षेत्र सर्वेथाऽधिक् तवती । करदिचदेनत्
पटितुमारमेत तदानी न तस्य पिपठिपा उपन्याससाहित्यवद् मध्ये
विरन्तु विहितवना स्यात् । ऋतु-पवेत-कानना दि-प्राकृत-हदयाना-
मनुभवपरिप्लृतेन सहजवर्णनेन समलड कृत काव्यमिद श्रन्थित्वा
विदूषा लेखकेन न केवल स्वस्याऽदुप्यवेदुप्यमाविष्कृत, पर सस्रत-
सारित्यायाऽद्भृतमभिनवममरफल प्राभृतीकृतम् । पुराऽपि लेखक-
महोदयेन आजु नमालाकारम्, ` प्रभव-प्रवोधास्य' गद्यकाव्य-हय
विरचय्य ॒सुरसरस्वतीसाहित्यस्य श्रिय प्रकाममभिवृद्धिव्यंधायि ॥'
लेखकस्य गद्यकाव्यत्रयीमधीत्य गद्यकाव्यरसनो लेखक प्रति सहज-
श्रद्धालु ` स्यादिति स्वाभाविकम् । लेखकोऽवरुद्धप्रवाहा श्र् तदेवी'
समूज्जीवयितु कृतसकलत्पोऽस्तीति स्पफट प्रतीयते । लेखक आयताः
वेताहयानि युगभावसन्हव्धानि कियन्ति काव्यानि,' महाकाव्यानि च
निर्माय काव्यरसनं भ्य समपयिष्यति तदायतिरेव ज्ञापयिष्यत्ति। `
विक्रमान्द २०१७
माघञुक्ला चयोदर्याम् | ,
आमेट (राजस्थान) “मुनि मीठालाल
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