जैन तत्त्व प्रकाशिनी सभा [पूर्ण विवरण] | Jain Tatva Prakashini Sabha [Poorna Vivarana]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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दश्शनावन्द्जीके चेलेश्ञानभार इसको/शास्त्रार्थ करता मंजर है और- सनकी
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शापका पत्र तां० ३० जन १९१२शा अपी ९ बजे प्राप्त हुआ उत्तर से. |
निवेदन है कि वेद्कि ध्मोषणस्वियोंके लिये इससे अधिक प्रसन्नवाकी. बात |
और प्या हो,सक्ती है क्ि,सत,भतान्तरोंके श्ीय' सस्यता पूर्वेज्ष .पाएस्परिक
। प्रेमभावते लक्षण মৃদাযীজী হাখনিজ संघोदानसार- स्वभन्तव्यासन्तव्य-पर
दिचार करके सर्के-प्रहण और-घासत्य के त्याग- करनेसे तत्पर हर । दो |
' घने ভাঙা गोदों की, ससियां नामकं स्वान स. नियम पूरव शाखाणे करंगा
स्वीकार है तद्नु धार उपस्थित रहूंगा । कृपया एक ऐसे प्रधानका प्रब॑ध करे |:
জী निर्यभादि' पालन करामेका यथावत् प्रदंध फर सके. ৪2৮
` - मवदीयं-द्शनानन्दं सरस्वती , ..
নৌ ३०1६१ ११ 1.१९ बजे प्रातः.
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और एक वर्जेके शग सग आय्येसनाजकी ओरसे निम्न विज्ञापन प्राप्त हुआ ।
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০ जैनियों से शाखाधं। ,
सवै साधारा सूचना दीज़ाती है क्ि,झाज तारीख ३०-६५ ३० को
| दुपहरक्षे २ बजेसे गोदोंकी:नतिप्रांसे जेनियोंक़ी जिज्ञासानुधषार श्रोचान् स्वामी |
५९
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