नवरत्न विवाह पध्दति | Nav Ratan Vivah Paddhati

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Book Image : नवरत्न विवाह पध्दति  - Nav Ratan Vivah Paddhati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नवरत्नविवाह पद्धति: । शिखे प्रश्नठग्रायर्दीन्दु: । रो जीवेन सद्य पारिणयनकरों गोतुठाककंटारूये वा स्यात्प्र- श्रस्य छम्ं झुभखचरयुताठोकितं तादे दृष्यात्‌ ॥ २ ॥ मा० टी०-प्रथम रत्र सुवण रजतादिसे गाणितविद्यानिपुण ज्योतिषी स्वस्थचित्त बेठेको भेटकर कन्याका विवाद निवेदन (कथन ) करे यहां रत्नादिसे यह प्रयोजन है जितनेसे संतुष्ट हो जाय उतना द्रव्य देना वा यथाशक्ति अनुसार देना ओर साथ यद्द कहना कि में कन्याका विवाद करना चाहता हूं । यदि उस काल विदाइप्रश्नसे दशम १० एकादश २११ तृतीय है सप्तम ७ पंचम “ स्थानमें चन्द्रमा होय और प्ूर्णदृष्ट नवम ९ पंचम से बृहस्पति चंद्रमाकों देखे वा दप तुला कक यह प्रश्नके लग होय और झुभयद युक्त होवे वा देखे ती शीघ्रद्दी विवाद दोता है ॥ ९ ॥ विषमभांशगतो झाशिभागंवो बढिनो याद पइयतः । रचयतो वरठाभ- मिमो यदा युगठभांशगतो युवतिप्रदो ॥ डे ॥ मा० टी०-यदि झुक चंद्र विष॑म ( मेष, मिथुन, सिंह, तुला धन, कुंभ ) राशिके नवांशर्म बलयुक्त प्राप्त होकर प्रश्नलमको देखे तो यदद वरकी प्राप्ति कन्याकों करते हैं । यादि झझी शुक्र




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