नवरत्न विवाह पध्दति | Nav Ratan Vivah Paddhati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.62 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नवरत्नविवाह पद्धति: ।
शिखे प्रश्नठग्रायर्दीन्दु: । रो जीवेन सद्य
पारिणयनकरों गोतुठाककंटारूये वा स्यात्प्र-
श्रस्य छम्ं झुभखचरयुताठोकितं तादे
दृष्यात् ॥ २ ॥
मा० टी०-प्रथम रत्र सुवण रजतादिसे गाणितविद्यानिपुण
ज्योतिषी स्वस्थचित्त बेठेको भेटकर कन्याका विवाद निवेदन
(कथन ) करे यहां रत्नादिसे यह प्रयोजन है जितनेसे संतुष्ट
हो जाय उतना द्रव्य देना वा यथाशक्ति अनुसार देना ओर
साथ यद्द कहना कि में कन्याका विवाद करना चाहता हूं ।
यदि उस काल विदाइप्रश्नसे दशम १० एकादश २११ तृतीय
है सप्तम ७ पंचम “ स्थानमें चन्द्रमा होय और प्ूर्णदृष्ट
नवम ९ पंचम से बृहस्पति चंद्रमाकों देखे वा दप तुला
कक यह प्रश्नके लग होय और झुभयद युक्त होवे वा देखे ती
शीघ्रद्दी विवाद दोता है ॥ ९ ॥
विषमभांशगतो झाशिभागंवो
बढिनो याद पइयतः । रचयतो वरठाभ-
मिमो यदा युगठभांशगतो युवतिप्रदो ॥ डे ॥
मा० टी०-यदि झुक चंद्र विष॑म ( मेष, मिथुन, सिंह, तुला
धन, कुंभ ) राशिके नवांशर्म बलयुक्त प्राप्त होकर प्रश्नलमको
देखे तो यदद वरकी प्राप्ति कन्याकों करते हैं । यादि झझी शुक्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...