उपाध्याय श्री प्यारचन्द जी महाराज का जीवन चरित्र | Upadhyay Shri Pyarachandaji Maharaj Ka Jeevan Charitra

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Upadhyay Shri Pyarachandaji Maharaj Ka Jeevan Charitra by रतनलाल संघवी - Ratanlal Sanghavi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १६ ) श्म पुष्प प्रस्तुत कर्चा पृष्ठ सं० १६ ध॑ंस्मरण- . प० रतन प्री क़लसीबस्दसी ও ঘা ০৯ १४ सफज् साधक भी प्यारचनम्वत। महा०-- श्री समीर मुनियी म० छुपाकर” ८ १४ हा | अप्न॒वस्त নমল || प॑ मुनि भी मगषतीआलजजी महा० (७ १६ अ्रद्धाश्क्षि-- प्रिय व्यास्थ्पानी भी संमस्अंदूकी स० साू« ४८ १५ स्व० एपा० भौ प्यारचस्तृत्णी म०-- भी हिम्मदर्धिष्यी दतेसय १०२. १८ श्रद्धा के दो कुपुम-- भरी पारस-घून ২০৪ १६ दीपं श्नि মী জথাচ্যাযজী মন্থাৎ জী बापूश्तश्री भोपर १०६. १०५ श्पार भी प्पारबन्डसी मरके एक হদুত্রি-- भरी ग्वुपयीन ११२ ४१ अ्रमण॒-संप के मान संण्टड-- प्रो चाइमलजी मार ११४ ९९२ एर मपरम्ठ स्वस्ति भरी लसमीनम्ब्भी युरो ११८ ए३ भज्ञामयी अप्रक्ष -- की भ्रमीतकुमार जेन १११ २४७ साहिस्पसेवा-- भरी शांविज्ञाब हुपापषत १२४ १४ योग्य गुरु के पोग्य शिष्व-- ए अद्धालु १५१८ २६ से (दत ध्री भी श्पाप्पायडी म9-- प्री भेह्शारूजी पवेषा १३१९ ३७ धयाध्याइवी ध्य देशाइ साम -- भी देब ११४ इ८ प्रद्टाप्रलि-- मम्ब मंत्री प्‌ रतन भी पहाल्लाप्डी म० सा० १३७




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