स्वामी रामतीर्थ और उनके उपदेशों का संग्रह | Svaamii Raamatiirth Aur Unake Upadeshon ka Sngrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वामी रामतीर्थ ११ गुरु--हां, अब भी चलती हे क्योंकि अमेरिकामें भी आंख मृंदकर दान देनेवालोंकी कमी नहीं हे, पर स्वामी रामतीथ और विवेकानन्दक्रे जानेके बाद पादरी लोग अमेरिका वालोंको भारतके बारेमें उतने अन्धका रमें नहीं रख सके | इन दोनों संन्यासियोंके व्याख्यानोंने इतना काम किया जितना हजारों प्रचारक नहीं कर सकते थे । शिष्य--गुरुजी, स्वामी रामतीथे अपने व्याख्यानोंमें क्या-क्या बातें कहा करते थे १? गुरु--बातें तो बहुत कुछ कहा करते थे, जिनका पूरा बयान यहां इस समय नहीं हो सकता, पर बहुधा इन विषयोका वणेन किया करते येः-- ( १ ) मनुष्यके अन्दर ईश्वरीय शक्ति मोद हं । ( २ ) जो अपनेको संसारके साथ मिला हुआ सम- भता हे, संसार अवश्य उससे सहयोग करता हे । ( ३ ) शरीरको काय और मनको शान्ति और प्रेममें लगाये रहनेसे इस जीवनके पापों ओर कष्ठोंसे छुटकारा मिलता है । ( ४ ) सबमें इश्वरीय-सत्ता देखनेसे आदमी संसार




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