पीथल | Pithal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
131
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पृथ्वीराज :
रामसिह
पृथ्वीराज
रामसिह
पृथ्वीराज
रामसिंह
पृथ्वीराज
(বিভা ई) देखो, थे दौनू थोड़ो धीरज राखो । फालतू
काम रा आपस में तो उल्झो ना अर निरांत सू इण
अवखाई नै पार करण रो रस्तो दृढो ।
: निरत सूं किणी भात रो रस्तो वैठतो मने तो को लेखावे
नीं। आं क्षत्रिय राजावां री बुद्धितो कटै ही नाठ^र
दापकगी।
: देश रो ओ ही तो दुरभाग है। सगव्ठ राजा आप-आपरी
डोढ दाछ री खीचडी न्यारी-न्यारी सिजावण लाग रैया
है।आं री आ अकड ही तो सगब्शं नै एकजुट को हुवण
देवै नीं। आप मांय सूं ही किणी एक ने बडो मानण ने
त्यार कोनी।
* किणी दूजै री मातहती मंजूर नीं हुवै तो कम-सूं-कम
खुद रै स्वाभिमान री रिछपाल तो करै। इण गुलामी रै
जूओ ने अछ्गो क्यूं नीं फेंकदै ! आपणै सामने महाराणा
प्रताप रो एक अनुकरण जोग आदर्श है। आपरो राज
बधावण री तो उर्णा री आमना कोनी पण फंकत खुद
री अस्मिता री रिछपाल सारू भचभेडी खाय रैया है।
घिरकार है उण राजपूत राजावा नै, जिका एक परदेसी
हमलावर रै नचाया नाच नाचता थकां उणां पर वार करै
अर मुगल सल्तनत री जड़ सीयि।
: आपरो सोचणो सौ टच सायो अर खरो है, रामसिहजी 1
आपणो आपसी मनमुटाव ही तो देश री गुलामी री
वजह है अर आज तो हालत आ है के खिलअत अर
मनसबदारी खातर आपां उंतावक्ा हुवां। एक-दूजै ने
नीचो अर पोचो दिखावणो आपणो धरम बणग्यो | शहेशाह
अकबर आएरै च्यारूं पासी -जी-हजूरियां रो जमावडो
कर राख्यो है जिका उणां रा कसीदा पढ़ता रैवै |
: माफ कराया भाईसा | थे भी तो उणी पंगत में हो अर
बादशाह अकबर रे नौ रत्नां मांय सिरै हो।
: सैमूंडे तो इयां ही लखावै, रामसिंहजी ! पण म्हारै हिये
मेँ आज भी देशप्रेम हवोव्ल चट अर जद भी मौको मिले
पीथछ/15
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