नेलसन | Nelsan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अखौरी कृष्णप्रकाश सिंह - Akhauri Krishna Prakash Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वाल्थावस्था और वंश-परिचय । ४
~~~ ~~
সং পপি +^ ~^ ~ ~~ ~~~
भावोने प्रेरणा को । नेलसनने अपने बड्डे भाईसे पिताके
यहाँ एक पत्रों लिखनेके लिये बिनती को श्रीर जहाज़में नौ-
करो करने को उत्कट श्रभिलाघा प्रकट कौ ।
एडमण्ड नेलसनका स्वास्थ्य इन दिनों अच्छा नहीों था,
अतः वह जल-वायु वदलनेके ख्यालसे बाध्य ( 3०४0) ) अषचरमें
रहता था; वीं पुत्रकौ चिट्ढो पहुंचो। उसने होरेशियोको
आमन्तरिक अभिरुचि जानकर और अपनो आर्थिक दशा उक्तम
म देखकर शोघ्रहो अपनो अनुमति देदो । पिसा पुत्रको प्रक
तिसे भलो भॉति अभिज्ञ था और सदा कहा करता था कि
होरेशियो जहाँ रहेगा वहाँ हो सर्वश्ृछ होगा ।
एडमण्डने शोप्र एक पत्र कप्तान खकलिड़-की इस विषयका
लिखा । कप्तानने उत्तरमें यह लिखा कि यद्यपि बिचारा होरे-
शियो बहुत टुबल है तथापि उसका मन भट्ट करना उचित
नहीं है अतः उसे भेज दो ; परन्तु भय केवल इस बालका है
कि कहीं पहिले हो युद्धमें उसका सस्तक गोलेसे उड़ न जाय ।
पाठक ' इस उत्तरसे आप समझ सकते हैं कि, होरेशियो
को नाव्य-विद्या-निपुण बनानेको इच्छा कप्तानको कदापि नहीं
थो। यद्यपि नेलसन शरोरसे अत्यन्त दुबंल और रोगो था;
तथापि भविष्य-गोरव, इठ-संकल्य और उदारता जो उसके
भावो जोवनके सबसे बड़े उद श्य रहे, उस समय भो भपना
झाभास दिखाये बिना नहों रहते थे भोर क्यों रहे ? क्या
वाब्यकाल हो भविष्य-जोवनका अरुणोदय नहों है?! क्या
User Reviews
No Reviews | Add Yours...