स्वर्गोद्यान बिना सांप | Swargodyan Bina Sanp
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
109
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्रधान मंत्री के कार्यालय में निश्चित समय पहुँचे । प्रतीक्षा नहीं
करनी पड़ी । प्रधान म्रौ डाक्टर सर शिवसागर रामगुलाम का कद
मंभला, चेहरा गहरा सांवला, केश श्वेत, मोटा चश्मा । आयु तिहत्तर
वर्ष । धारीदार चुस्त सूट में थे, कालर-ठाई दुरुस्त । चेहरे पर आयु के
दौथिल्य-थकावट, पोशाक में उपेक्षा का कोई लक्षण नहीं ।
कुशल-मंगल के पश्चात् प्रधान मंत्री बोले, ““हम लोगों को विशेषतः
द्वीप के हिन्दी पाठकों और लेखकों को आपसे भेंट की बहुत उत्सुकता
थी । इस अवसर से उन्हें बहुत संतोष होगा। लोग आपसे साहित्य के
अनेक प्रसंगों पर विचार-विमर्श करेगे । हमारे नवयुवक लेखक आपके
परामर्श से अपने सामाजिक और राष्ट्रीय दायित्व को समझ कर प्रेरणा
भी पायेंगे । मारत की तरह हमारे सामने भी, स्वतंत्रता पाने के बाद
जनता का जीवन स्तर सुधारने, हमारी अति सीमित श्रूमि और साधनों
से यथासम्भव आत्मनिर्भर बन सकने की समस्याएं हैं । हम अपने लक्ष्यों
कौ लोकायत हृष्टि और समाजवादी प्रजातंत्रात्मक कार्यक्रम से ही पा
सकते हैं । समाजवादी लक्ष्यों को समाज या जनता के सहयोग से ही पाया
जा सकता है । उसके लिये संकीर्ण साम्प्रदायिक और जाति-वर्गभेद की
सीमाओं से मुक्त होकर सामूहिक मानवीय हित की दृष्टि और व्यवहार
अपनाना आवश्यक है । आपने अपनी रचनाओं से इसी विचारधारा को
प्रोत्साहन दिया है। विश्वास है, हमारे लेखक. आपसे ऐसा मार्गदर्शन
और प्रेरणा पायगे ।”
प्रधान मंत्री ने बताया, वे हिन्दी बोल-समझ लेते हैं परन्तु पढ़ने-
लिखने का अम्यास कम है । उनके परिवार में विशेषतः पत्नी ओर बेटियों
को हिन्दी पुस्तकों में बहुत रुचि है ।
अपनी तीन पुस्तकें भेंट के लिये ले गया था। इस भेंद के लिये
रामगुलाम जी ने अपने परिवार की ओर से धन्यवाद दिया ।
प्रधान मंत्री के विषय में पिछले दिन चर्चा सुती थी । नवयुवकों के
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