अणुव्रत-आंदोलन | Anuvrar-Andolan

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Anuvrar-Andolan by आचार्य तुलसी - Acharya Tulsi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) चलती है । बुरा গলদ গল মানবিক আলীম অহনা दै मौर समाधान के लिए धरम वी ररण लो जाती है, परमात्मा की प्राथना की পালী * গীত इससे छुछ रान्ति मिनी टै) किर बुराई की ग्रार पाव बतत हैं फिर শালির গীত টিপ ঘন কী शरण ! घम की यह वरशा पविय पर शुद्ध बनने के! लिए नही ली णाती किस्तु बुराई वा पत्र>यहाँ या भ्रगले जम भे॑ कमी और कही भी 7 मित्रे, इसलिए ली जाती है। तात्पय यद है वि बुद्य बने रहते के लिए झाटमी धर्म का पवच घारण वरता है। गही है धम व साथ सिलवाड या आात्म-वचना । লতা से आम-सममन ঘথলা £। অযবী দনশি অত है दि थुराई वा सुरित रसन के लिए धम वी शरण न ला, ङितं उसमे बचने गे” लिए सो । घम प्रवित्र श्रात्मा में दहरता है ( घम्मा धुदस्स चिंठुद ) ত্র গাপাকন মা उद्दय है-- जीवन पवित्र बन । दनिकः व्यवहार में सवाई और प्रामाशियता श्रयं । घम कौ भूमिका विक्रसितहो) धम णा तयनीत जन थीद्ध, बदित इस्लाम ईमाई आदि নব धम सम्प्रदाय हैं। ये घम नही हैं धम वो सममने वी विचार पाराए हैं। धमें 4 पीछे जन या बौद्ध यम वी मुद्रा नरी है। वह सवै लिए समान है। घम थो समनान वाले तीयद्ूरा, आपायो और उपदशका के पीछे सम्प्रदाय या मत्‌ नलत ह ।




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