भूख के तीन दिन | Bhookh Ke Teen Din
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूदं तोन दिन } ९७
गति बाधि दे! दौ अग्रैन्टिस पहले से मौजूद हैं । ' **देच(रा चार मास से
“ ओऔर'”'को तो छः हो गये । चखनऊ में दो तो देनिक है; क्या चांँस हो सकता
ইন বই লাঞ্চ दिल्ली में है ।”
नन््दत दो बजे महामारत' प्रेस मे अकाउत्टेट के यहां पहुँचा । अकाउस्टेट
मास के वाउचरों की फाइल भें उसका वाउंचर खोजने लग॥ । तुन्दं ने अपने
वेतन के वाउंचर पर पिछले कुल दोपहुर से पहले ही हस्ताक्षर कर दिये थे । उसे
आशंका हुई, उपसस्पादक ने उसे परेशान करने के लिये बाउचर रोक न सिया
ही ।
“इसमें आपका वाउचर नहीं है! अकाउन्ट्ेट ते विस्मय प्रकट किया ॥
“हमारा अनुमान है कि उपसस्पादक ने रोक लिया होगा।॥'
“अनुमान है तो हमारा वक्त खराब करने के लिये आये हो ।'” भकाउन्टेट
ने फाइल पटक दी |
नन्वदत अभद्रता पी गया“ एक वाउचर दे दोजिये, हम अभी भर कर
साइन किये देते ह +
“उपसम्पादक और सम्पादक के साइन লী तुम्हीं कर दोगे ?” अकाउन्टेट
ने चश्मे के ऊपर से छूरा ।
“उनके हृश्ताक्षर भी करवाये देते हैं 1
“बहुत के लिये हमारे पास समय नहीं है, काम करने दो ।” अकाउन्टट ने
मुंह फेर लिया !
नन््दन' के लिये मुख्यसस्पादक के यहा स्वय ओर तुरन्त जान की सज्ये
हो मयी । मुख्य सम्पादक के दरवाज़े पर रहता है चपराठती । वहू भोतर से अनु-
मति पाकर ही प्रवेश करते देता है । नत्दव प्राय: आधे घन्ठे तक प्रतोक्षा रे
खड़ा उबलता रहा !
नस्त प्राय: आधे घन््टे तक प्रतीक्षा भे खड्टा उबलता रहा |
नन्दन की शिक्रायत सुत कर मुखयत्म्पादक ते स्वीकार किया -- पांड़े जी र
आपका वाउचर हम से बात करने के धिम रोक क्षिया था।' बेदखी स्पष्ट थी |
लन्दन ने उपसम्पादक को ताराजगी का कारण बताकर निवेदन किमा-
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