भूख के तीन दिन | Bhookh Ke Teen Din

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Bhookh Ke Teen Din by यशपाल - Yashpal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूदं तोन दिन } ९७ गति बाधि दे! दौ अग्रैन्टिस पहले से मौजूद हैं । ' **देच(रा चार मास से “ ओऔर'”'को तो छः हो गये । चखनऊ में दो तो देनिक है; क्या चांँस हो सकता ইন বই লাঞ্চ दिल्ली में है ।” नन्‍्दत दो बजे महामारत' प्रेस मे अकाउत्टेट के यहां पहुँचा । अकाउस्टेट मास के वाउचरों की फाइल भें उसका वाउंचर खोजने लग॥ । तुन्दं ने अपने वेतन के वाउंचर पर पिछले कुल दोपहुर से पहले ही हस्ताक्षर कर दिये थे । उसे आशंका हुई, उपसस्पादक ने उसे परेशान करने के लिये बाउचर रोक न सिया ही । “इसमें आपका वाउचर नहीं है! अकाउन्ट्ेट ते विस्मय प्रकट किया ॥ “हमारा अनुमान है कि उपसस्पादक ने रोक लिया होगा।॥' “अनुमान है तो हमारा वक्त खराब करने के लिये आये हो ।'” भकाउन्टेट ने फाइल पटक दी | नन्‍वदत अभद्रता पी गया“ एक वाउचर दे दोजिये, हम अभी भर कर साइन किये देते ह + “उपसम्पादक और सम्पादक के साइन লী तुम्हीं कर दोगे ?” अकाउन्टेट ने चश्मे के ऊपर से छूरा । “उनके हृश्ताक्षर भी करवाये देते हैं 1 “बहुत के लिये हमारे पास समय नहीं है, काम करने दो ।” अकाउन्टट ने मुंह फेर लिया ! नन्‍्दन' के लिये मुख्यसस्पादक के यहा स्वय ओर तुरन्त जान की सज्ये हो मयी । मुख्य सम्पादक के दरवाज़े पर रहता है चपराठती । वहू भोतर से अनु- मति पाकर ही प्रवेश करते देता है । नत्दव प्राय: आधे घन्ठे तक प्रतोक्षा रे खड़ा उबलता रहा ! नस्त प्राय: आधे घन्‍्टे तक प्रतीक्षा भे खड्टा उबलता रहा | नन्दन की शिक्रायत सुत कर मुखयत्म्पादक ते स्वीकार किया -- पांड़े जी र आपका वाउचर हम से बात करने के धिम रोक क्षिया था।' बेदखी स्पष्ट थी | लन्दन ने उपसम्पादक को ताराजगी का कारण बताकर निवेदन किमा-




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