पंचलब्धि -भाग 3 | Punchlabdhi -Bhag 3

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Punchlabdhi -Bhag 3 by ब्रह्मचारी मूलशंकर देसाई - Brahmchari Moolshankar Desai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ई ) विषय छद्मश्य की वाणी सहज क्या खिरती ই? लाभान्तराय कमं के स्षयोपशम मे क्या बाह्य सामग्री मिलती है ने यज्ञोपवीत कोन पहर सकता टै ! मुनि महाराज को आहार केसे देना चाहिए ? ४“ पातन्न जीवों को अन्‍न्तराय किस के दोष से आती है ? पात्र कुपान्न अपात्र का स्वरूप निकांचित और निधत्त बन्ध किसको कहते है ? ^ मिथ्याभाव का दृष्टान्त ० विनय तप और विनय भिथ्यात्व किसको कहते हैं? नयों का स्वरूप ই निक्षेप का स्वरूप ०७ १९५५ अनेकान्त का स्वरूप ^ ५०० स्याद्राद्‌ का स्वरूप भाव कर्म का स्वरूप निमित्त का स्वरूप द्रव्य कम का स्वरूप नोकम का स्वरूप श्रात्मा का बुद्धि ववेक अपराध “ आहार संज्ञादि ५०५ সী प्रायोग्य लब्धि नम ५००० करण लब्धि २२१ २२३ २२५ २२९७ २३१ २३२४ २२५ २२८ २४१ २४४ 1 २५० २४४ २५८५ २५८ २६३ २६७ २६६ २८३ २८६




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