पिछड़े प्रदेश का विकास -नियोजन चुनर तहसील (उ० प्र०) : एक विशेष अध्ययन | Development Planning Of A Backward Region Chunar Tehsil (U.P.) : A Case Study
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय एक
संकल्पनात्मक पृष्ठभूमि
1.1 प्रस्तावना
भू-तल की विविधता उसका एक सामान्य लक्षण है । प्रारम्भ से ही किसी प्रदेश
के कुछ भाग विशेष आकषर्ण के केन्द्र रहे और कुछ भाग उपेक्षित । इसके लिए प्रकृति प्रदत्त
अनुकूल एवं प्रतिकूल दशाएँ ही मुख्यतः उत्तरदायी रही हैं । किन्तु हम केवल इसी आधार
पर किसी प्रदेश को विकसित या अविकसित नहीं मान सकते, क्योंकि इसमें मानवीय क्रियाओं
( प्रत 46६1075 ) का भी महत्वपूर्ण हाथ होता है । ग्रिफिथ टेलर ने भी अपने 'ूको
और जाओ निश्चयवाद' सिद्धान्त में यह विचार व्यक्त किया कि प्रकृति कार्य-क्रमों की रूपरेखा
। वास्तव में भू-तल पर स्थानों
तैयार करती है तथा शेष सभी कुछ मनुष्य द्वारा निर्धारित होता है '।
के विकास में प्रकृति एवं मानव के सहवास की प्रक्रिया के माध्यम से हुए परिवर्तनों का बहुत
महत्वपूर्ण स्थान है । अत: आज विश्व समाज जब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित, अविकसित `
एवं विकासशील राष्ट्रों के रूप में विभकत हो चुका है और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएँ इन असमानताओं
को दूर करने में असफल रही हैं, पिछड़े राष्ट्रों का नियोजित विकास की ओर अग्रसर होना
स्वाभाविक है । पिछड़े प्रदेशों का विकास अपेक्षित एवं न्यायपरक हे, किन्तु इससे जुटे अनेक
ऐसे प्रश्न | हँ जिनकी तर्कसंगत एवं युक्ति-युक्त व्याख्या अपेक्षित ই | इने प्रदेशों के पिछड़े
होने का मापदण्ड क्या है ? ओर उनका निर्धारण कैसे हो ? किञ्च सीमा तकं विकासि कर लेने
के उपरान्त ये देश अथवा प्रदेश विकसित प्रदेशों के श्रेणी में आ सकेंगे ? और साथ ही इनके
विकास की प्रक्रिया कया हो ? नियोजन एवं विकास-नियोजन के अर्थं क्या है ? इत्यादि ऐसे
गृढ़ प्रश्न हैं, जिन्हें इस परिप्रेक्ष्य में समझना आवश्यक प्रतीत होता है और यही प्रस्तुत अध्याय
का मृल उद्देश्य है ।
1.2 विकास - एक भौगोलिक दृष्टिकोण
यद्यपि प्रकृति की प्रत्येक वस्तु जीव-जन्तु तथा मानव विकासशील हैं | तथापि मानव
में अधिक सक्रियता का गुण होने के कारण वह ही अध्ययन का विशेष केन्द्र-बिन्द् बनता
हे 1“ मानव अध्ययन के अनेकानेक पहलू हैं , किन्तु उसकी सभी क्रियाओं में आर्थिक क्रिया-
कलाप सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसी के आधार पर उसके सामाजिक सांस्कृतिक एवं राजनैतिक
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