अन्धा संगीतज्ञ | Andha Sangitagy

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Book Image : अन्धा संगीतज्ञ  - Andha Sangitagy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे जिस परिवार में इस अच्धे बच्चे का जन्म हुआ्रा था वह कोई बड़ा परिवार न था। उसमें माँ थी, पिता थे और “चचा मक्सिम थे, जिन्हें घर के प्रायः सभी लोग, और बाहर वाले भी, इसी नाम से पुकारते थे। पिता गाँव के एक जमीदार थे वसे ही जैसे दक्षिण- पश्चिमी प्रदेश के हज़ारों दूसरे ज़मींदार हुआ करते थे। उनका स्वभाव मधुर था। कहा जा सकता है कि वे दयालु प्रकृति के थे। वे अपने मजदूरों के साथ श्रच्छा व्यवहार करते थे। उन्हें मिलों का बड़ा शौक़ था और अपनी आदत के अनुसार वे एक न एक मिल का या तो निर्माण कराया करते थे या पुनर्निर्माण, और यह काम बारहों महीने चलता था। इस कार्य में उनका इतना अधिक समय बरबाद होता था कि घर में तो उनकी आवाज़ तक सुनने में न आश्राती थी। हाँ, जब कभी नाइते या खाने का समय होता या घर- गिरिस्ती का कोई ज़रूरी काम श्रा पडता तो वे ज़रूर घर में मिल जाते और जब घर में क़दम रखते तो यह अवश्य पूछ लेते, “आज तुम्हारी तबीयत कंसी ९५




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