श्री वर्तमान जिन चतुर्विंशतिपूजाविधान | Shrivartaman Jin Chaturvinshati Pooja Vidhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[३] ।
फल मोक्ष मिले स्हाराज,अमूँ ना जम्तं केभी ॥८॥
ऊंडों श्रीचोबीस जिनेन्द्राय मोन्षफत्नप्राप्ताय फलम निवेपामीतिखा०
जल चन्दन अक्षत फल, नेवज तासु मिला ।
ले दीप धूष अनुकूल, मेल फल अधघे जना ॥
चोबीसों. श्रीजिनराज, भव दधि पार करो ।
निज पद दीजे शिवराज, भव आताप हरो ॥६॥
९ ^~ ५
अदी भीचोवीस जिनेन्द्राय अनधेपद् श्राप्ताय अघ नि्पामीतिस्वाहा
জহালাতী ।
भव मँवर सांहि अनादिसे मे खुब गोते खा रहा ।
अवलम्ध देहि निवार स्वामी चरनमें सिर ना.
रहा ॥ मिध्यातवश शुभ घ्म छाँडा भूल सुधि
तुम पद गया । नाथ अब तुम शर्ण आया
कीजिये मो पर दया॥१॥ भावना ऐसी हो मेरी
तप अत संजम आदर । कमं के फम्दे से हट
कर ध्यान निज आतम कर ॥ ज्ञानदीपक हो
प्रकाशित तिमिरका नाशन करू ! कामना मेरो
हो प्री जाय शिव श्मणी वरू ॥२॥ इस काज
प्रभु तुम चरणकी में आनकर पूजा रची । रघु.
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