किसानों की कामधेनु | Kisanon Ki Kamadhenu
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
64
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ किसानोँकी कामधन
नहीं मिलता । अब अपनी भूलकों सधारों, और गो-वंशको
उसके हिस्सेकी धरती दे दो । उसमें उनके लिये दाना-चारा
पंदा करो, और उनका उसे उपभोग करने दो ।
सबसे सीधा ओर सरल उपाय ता यह है किं तुम्हार प्त
जितनी घरती हो, उसे बराबर तीन भागोंमे बाँट डाला ।
एक मागमे उन क्रौमती चीर्जोको बोया करो. जिनका मांग
हा । उनकी उपजको वेचकर् अपनी धरतीका लगान दरिया
करो, श्र साहूकाराको जो देना हो, बह अदा करो ।
दूसरे हिस्से उन चीजोका बोधा करो, जिनकी त॒म्हे श्रपने
घरके कामम आवश्यकता पड़ती हो । घरकी উর্লা पदा
की हुई चौजे शद्ध और सस्ती हुआ करती हैं। तीसरे हिस्से में
अपनी गडओं और बेलाक लिये दाना-चारा पंदा किया करों |
ऐसा करनेसे तम्हारे गो-बंशका प्रा-पूरा चारा-दाना सस्ते
मिला करेगा ।
गो-वंशके हक़की जमीनमे अभी तम गेहूँ, নাজ, संनरा
ओर अलसी-जेसी क्रौमनी फसल पैदा करके जो समक
हो कि तम बहुत घन पेढा करके मालामाल हो रहे हो, यह
तुम्हारा समझना कोग श्रम ही &: क्योंकि मो-वंशका उचित
पालन न हानकं कारण धरतीर्का उचित सेवा त॒म नहीं
कर सकते | उसका व्रा नतीजा यह हा गया और हो रहा
है कि तम्हारे खेतोंकी उपजाऊ शक्ति नष्ट हो गई है. और
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