देवता राधाकृष्ण | Devata
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देवता
अरे 1... तू राम् १-जीम काटकर गोविन्द् बोला ।
“घर भी ।*--ओौर विना उत्तर की प्रतीक्षा किये वह उस.
तेज धारा सें कूद पड़ा। क्षण में प्रबल लहरें उठीं और देखते-ही-
देखते रामू अदृश्य हो गया !
३.
घाट पर बड़ी हलचल सची ।
“कौन कूदा है, जी ?!--एक ने पूछा । .
“रामू ।“--किसी ने उत्तर दिया ।
“पच्छिमपट्टी की विधवा जाह्मणी का रामू १
हाँ जी, वही ।”
सब मानों स्तव्ध रह गये !
एक बोला--“बेचारी अनाथ हो गई ।”
दूसरा बोला--“उसके बुढ़ापे की लकड़ी हूट गई ।”
` तीसरे ने दीधे साँस लेकर कहा--“कित्तना सुन्दर लड़का
था''“* भाग्य का फेर !”
৬ ৯,
रामू की सा ने भी यह खबर सुनी । उसे काटो तो खून
नहीं । आखिर वही वात होकर रही !
“हे भगवान् ! तुम्हे क्या यदी मंजूर था १ मेरे.रामू को
पृ
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