निर्वाण के पथ पर | Nirvan Ke Path Par

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Book Image : निर्वाण के पथ पर  - Nirvan Ke Path Par

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निर्वाण के पथ पर मित्रो की चर्चा सर्पयथा उल्लेजनीय है जिनके संहय।ग के विना यह सफलता सम्भव ही नहीं थी | पुस्तक प्रकाशन में क्तिनी सफलता मिली यह तो पाठक ही यताएँ गे सुरुचिपूर्ण प्रकाशन की दिशा में छचित निदेश देने के लिए हम हिंदी- जगत के सुप्रसिद्द कवि लेखक एवं पत्रकार श्री ब्रजकिशोर नारायण जी क प्रति अपनी घशेप कृतद्ता प्रकट करते हैं | इसी सदर्म में शी महेशनारायण मारतीभक्त तथा श्री जय तिलालजी जैन के प्रति भी हम विशेष कृतज्ञ हैं । साथ ही शानपीठ प्रा० लि० पटना के मसुद्रण-कुशल प्रयधको तथा इस पुस्तक के रूप-सज्जाकर थी कलार्थी जी के प्रति भी अपना आभार प्रकट करते हैं जिनकी तत्परता से हमें वहुत वडा सहारा मिला श्री निरजन देव जैनजी भी हमारी बधाई के पाम हैं जिनकी उपस्थिति हमें सुलम नहीं रहती तो युजराती अशों एवं जैन-पारिभाषिक शब्दों के प्रयोग में हमें बडी कठिनाई होती । इस पुस्तक में हम कुछ और चित देने के पक्ष मे थे परन्वु उपयोगी चित्र हमें मिल नहीं सके। फिर भी जो चिम मिले उनके लिए नेशनल फोटो स्टडियो झरिया धनवाद तथा सुधीर कुमार जैन जैन कन्स्टकशन खास महाल टाटानगर हमारे घन्वनाद के पाय हैं अत में यस इतना ही कहना है कि इन स्यूवियों के मूल में तपस्वीजी की महिमा है और खामियों के पूरे जिम्मेदार हम हैं । अतएव क्षमा-याचना को हम अपना क्त्तंब्य मानते हैं | अप लख १६९८ सुरेन्द्र प्रसाद तरण? मगध सांस्ट्तिक्र सघ राजगूद पटना प्रिंददार




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