वर्त्तमान राजस्थान | Varttaman Rajasthan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : वर्त्तमान राजस्थान  - Varttaman Rajasthan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामनारायण चौधरी - Ramnarayan Chaudhry

Add Infomation AboutRamnarayan Chaudhry

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
९ वर्तमान राजस्थान ११ -~----- लाचार, वकीलों को भी जाने खिलाने! का घंधा करना पढ़ता या! इख तरह गररीव प्रज्ञा--जाखकर देद्ातियों व किखानों-- के खिलाफ सारे बुद्धिशाली और शिक्षित बे का एक पद्यत सा काम कर रहाथा लिसे यही ड्येडढ़ बुन रहती थी कि किस तरह इन भोले अन्नदाताओं से अपना स्वार्थ सिद्ध किया न्ञाथ | इन वेचारों से राज और राम दोनों रूठे हुए थे । महाराजा साहब महाराज्ञा में अच्छाईयों और घुराइयों का अजीब मेल: था। एक तरक वे धर्स से बड़े डरने वाले थे, रोज उठकर गाय ओर गोविन्ददेव के दशरन करते, माला अपते, गंगाजल के सिवाय दूखरा पानी न पीते ओर सेकड़ों ब्राह्मणों और कंगारलों को खिल,ते थ | ग्रजा के लिये उनके दिल में कोमल स्थान था । उख पर सख्ती करे के वे वियेवो थे । उनके ज़माने में कोई दमतकाण्ड नहीं” सुना गया। दयालु इतने कि जयपुर के सेंट्रल जेल में सुधारों के चाम पर कुछ नह पाव॑ दियाँ लगामे के विरोध में जब ग्यारह मद्दीने फी हड़ताल हुईं तो अधिकारियों के लाख चाहने पर भी बूढ़े मद्दाराजा ने कैदियों पर लाठी या गोलियाँ न चलने दौ । दूधरी तरफ़ वे इतने अय्याश थे कि उनके महल में तीन चार दजार स्त्रियाँ थी 1 इन में से व्यादातर को छर या लालच दिखा कर जवानी में फॉस लिया गया था। उनकी दुदशा वयात करना कठिन है, अंदाज़ा आखानी से हों सकता है। नतीजा यद्द होता था कि महाराजा को भोग विलास केः




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now