श्री शील रत्नसार संग्रह | Sheer Sheel Ratnasaar Sangrah  

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Book Image : श्री शील रत्नसार संग्रह  - Sheer Sheel Ratnasaar Sangrah  

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथ नववाडइ.बह्मचय्य की . लिख्यते ! ११ बाप कवरजी 4 एदेशी ॥ . चोमुख - सिंहासन थयो;चमर टोले चोसट इन्द, सोभागी ।-भामं- उल पुरे भलो, 'बेठा < वीरजिशंदः; .. सोभागी सुन्दरः त चोथो-कद्यो ॥.. ए. टेर ॥९।. पंचमी वाड़: जिनेसरूु,इस :भांखे .बचन रसाल,सोभागी । असरत; वाणी उच्चरे:-गंथे भंविक लोक . गण- मालं, सो० सं ०२ कामश केर गीतने, नहीं सुणे चित्तःलगाये,सो० ।नारी मिले बहु एकटी नहीं: निरखे कोतक जाय, सो० सुं० ॥३॥ হুল रमे क्रीडा करे, गावे गालनेः.गीत;, सो० ` - तिहा ने रसे ब्रह्मचारिजी; बह्मचारीनीः आइ दे `रीतः सो० सं०” नाश * रुदन करे! हांसी- करें; बोले नेहादिकताः बोल . सो० शीलवंत नहीं सांमले,_ तिहां च'चल हुवे मन, सो० सु०॥ ५॥ नहीं सुण नारी तणा, रूड़ा रिसे किस লহ লা, सो० सुणता ततखिण उपजे, बहु मदन तणो उदमंदि/सो० से ॥ दा! नर नारी रजनी समे बोले नेहादिकेनाःवचन,- सो० । शीत्तवंतः नही ,




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