श्री शील रत्नसार संग्रह | Sheer Sheel Ratnasaar Sangrah
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अथ नववाडइ.बह्मचय्य की . लिख्यते ! ११
बाप कवरजी 4 एदेशी ॥ . चोमुख - सिंहासन
थयो;चमर टोले चोसट इन्द, सोभागी ।-भामं-
उल पुरे भलो, 'बेठा < वीरजिशंदः; .. सोभागी
सुन्दरः त चोथो-कद्यो ॥.. ए. टेर ॥९।. पंचमी
वाड़: जिनेसरूु,इस :भांखे .बचन रसाल,सोभागी ।
असरत; वाणी उच्चरे:-गंथे भंविक लोक . गण-
मालं, सो० सं ०२ कामश केर गीतने, नहीं
सुणे चित्तःलगाये,सो० ।नारी मिले बहु एकटी
नहीं: निरखे कोतक जाय, सो० सुं० ॥३॥ হুল
रमे क्रीडा करे, गावे गालनेः.गीत;, सो० ` - तिहा
ने रसे ब्रह्मचारिजी; बह्मचारीनीः आइ दे `रीतः
सो० सं०” नाश * रुदन करे! हांसी- करें; बोले
नेहादिकताः बोल . सो० शीलवंत नहीं सांमले,_
तिहां च'चल हुवे मन, सो० सु०॥ ५॥ नहीं
सुण नारी तणा, रूड़ा रिसे किस লহ লা,
सो० सुणता ततखिण उपजे, बहु मदन तणो
उदमंदि/सो० से ॥ दा! नर नारी रजनी समे
बोले नेहादिकेनाःवचन,- सो० । शीत्तवंतः नही ,
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