छायावादी कवियों का सांस्कृतिक द्रष्टिकोण | Chayavadi Kaviyon Ka Sanskritik Drishtikon

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Chayavadi Kaviyon Ka Sanskritik Drishtikon by जगदीश गुप्त - Jagdish Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६०० ह० तक यह स्पष्ट हौ गया कि ऋज भारत का श्रौद्यौगिक विकास कमै ढी इच्छा नीः रतै । यशे कारण ই শি उधौगपतिया' मै उनका विध करने के लिए ही' कांग्रेी का साथ दैना' शुह किया | अग्रा कै बशर युद्ध 09০০৭ ८ ) श्रीर्‌ तुरक द्रात यूनानियँ की पराजय तथा प्ली देशों में हसाहयाँ की हत्या' से भारतीयाँ के हीन मेन में भी एक राष्ट्रीयता की लहर फेल गई | फलस्वरूप लौग তুর গাল राजनीति मैं शरीक ছাল लगै । क देश की संचिप्त श्रौयौगिक व्यवस्था पर दुशष्टिपात काते हर कछायावादी विचार धारा की साहित्यिक पृष्ठभूमि कै रूप मेँ यावि भारतैन्दु विवैदीयुग की परिस्थितियाँ कौ विभिन्‍न विवैशी शासकों और तत्कालीन 'स्थितियाँ को किया-प्रत्तिकिया कै सम्यक पत्र वै यदि दैत লী प्रथिक युक्ति संगत हौगा' । इस दृष्ष्टि से लार्ड एल्गिन धितीय ( १८६४-६६) के शासन- काल में ऋ्राल और महामारी महत्वपूर्ता दुःख़द घटना थी । जौ शासम की ग्रव्यवस्था' की তাক ই | জাত कर्जन ( श्ट€ से १६०५ ) के शासम-काल मैं यथपि गेल, रका, कणि रावि के विकास की व्यवस्था कु पर उसकी লি बुश नीति में भारतीयाँ के प्रति दुर्व्यवहार, जातीयता, पक्षपात आदि की भावना मैं यहाँ की जनता के मन मेँ उसके प्रात घृपाए भर दी थी । यही | कोरणा धा कि भारतीय एनी त्ति प्रतिक में बृद्धि कु, वर्याँकि इस बीच कर्जन नै बंगाल का दा भागौ पै विभाजन ( १६०४) कद्‌ द्विथा | इसकी ष परतिकिया में देशव्यापी आम्दौलन हुआ | १६७५ পর অলাজে কাটি कै समाणित गौपाल्कृष्णा गौँखले ने सरकार की क्टु निंदा की । साथ ही इसी कांग्रेस में बंग-भंग के विरौध में विदेशी वस्तुओँ के बहिष्कार का भी प्रस्ताव पास द्रा । लगभग १६०४ ४9 में भारतीय राजनी तिक गतिविधि में महानु, अन्तर भा गया | कांग्रेस अपनी नर्स नीति का त्याग कएने तमी । लाह कर्जन के त्यागपन्र वैकर चले जाने कै बाद लगभग १६०५ मैं ला নিল वायसराय बन कर बाये । पर অশমন গাল্লীজল বা एकमे में इल्हें भी सफलंता नहीं मिली । वैश की जन चेतनाः पै प्रगति हौ एडी थी | दादा भाईं नरौली की अध्यक्षत में कलकता'




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