पिता के आदर्श पुत्र | Pita Ka Aadarsha Putra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पिता पुत्र ११
हालोकि वे जुताई फा काम इतना बुरा नदीं करते । मेरा रयाल दै फ
अन्त में सब ठीक हो जायगा | परन्तु अभी तो खेती में तुम्हारी रुचि
ই नहीं, क्यों ९ ই ५79
“यह् बहुत बुरी वात ई कि मापने अभी तक यहाँ कोई सायवान
भी नहीं धनवाया ।? आरकेडी ने पिछले अश्न को यद़ाते हुए पूछा ।
ने वरामदे की उत्तर दिशा मे ऊपर एक बडा चेंदोवा तनवा
दिया है,” निकोलाई पेट्रोविच ने फ्हा-/अब हम खुले मे बैठ कर भोजन
कर सस्ते हैं |?
“पर इससे तो मकान एक बगले की तरह अधिक लगने लगा होगा ?
सैर, यद् रोई यात नदीं है । हा, यद दवा तो बहुत अच्छी चलती
है शसक गन्ध कितनी सुन्दर दै । वास्तव मे, समे यकीन नदीं होता
कि ससार मे और कसी भी स्थान पर इतनी सुगन्वित वायु चलती
दोगी। और आसमान भी ` ?
बोलने बोलते आरकेडी सह्सा चुप हो गया और पीछे की ओर
एक छिपी निगाह डालकर खामोश हो गया ।
“दस्यस्तल, निरोलाई पेट्रोविच बोला,” तुम यहाँ पैदा हुए थे।
यहाँ की हरेक चीज सुन्दर लगना तुम्हारे लिए खाभाविक है ** >»
“सच, पिताजी, दसं वातत से योर् भी फक नहीं पड़ता कि आदमी
का जन्म कदो हुमा ই।%
“फिर भी ११
“नहीं, इससे कतई कोई फर्क नहीं पड़ता 1?
निगल पेट्रोविच ने तिरछी निगाह से पुत्र के मुस की ओर देखा
आर फिर आधे बस्टो तक गाडी के आगे चले जाने तक उन दोनों में कोई
चातचीत नहीं हुई ।
“मुझे याद नहीं पडता ऊि मैंने तुम्हे लिखा था या नहीं,” निरोलाई
पेट्रोविच ने कहना प्रारम्भ क्लिया--कि तुम्हारी घुढिया धाय इगोरोयना
चक्ति जेसी }
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