गोर्की की श्रेष्ठ कहानियाँ खंड - १ | Gorkee Ki Shresht Kahaniyan Khand - 1

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Gorkee Ki Shresht Kahaniyan Khand - 1 by रागेय राघव - Ragey Raghavराजनाथ - Rajnath

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राजनाथ - Rajnath

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्न्न न व कु की ये चाय कद चना बन न जन जा जि ना ना बा बा की में गिल का न न जग न कि का गा गा गाणणत हज कौन सिस्का ? मैं दिसी सिर्का को नहीं जानता . सुम यहाँ से भाग जाशो, भाई. वर्ना यदि गोदाम के सन्य्ी ने तुम्हें देख लिया तो ये: ::.+ पद लाल यालों वाला श्ादमी जिसके साथ पिदज्ञी यार मेने रोस्ट्रसा में फाम किया था 1” प्यह जिसके साथ तुम चोरी करने जाया करते थे, वही न 1 वे तुम्हारे उस सिश्का को ग्ररुपताल ले गए । उस दुघटना में उसको एक टॉग टूर गई थी । ध्रच्ढा हजात ध्रय शाप यहाँ से चलते वनिये याय तक कि मैं भले ८ एएमिरयों की तरद से कह रद हूँ वर्ना श्रभी गदन में घदका देकर निकाल दू. गा” “यह बात है श्ौर तुम कह रहे थे कि तुम प्िरका को नहीं शानते । चदरदाल तुम उसे जानते तो दो । अच्छा, तुम इतने उरजित फिस बात पर दो रदे हो , सेसियोनिच ? “ग्रब्ठा, भच्छा मुक्के वारठों मैं फंताने की कोशिश मत फरो ! भाग जाशों यहाँ से, में तुम से कई देता हूँ 1! सिपाही फ़रुद षो उड़ा था । चारों तरफ देगते हुए उसने चेनकस को पक से झपना प्राय छुड़ाने का प्रययन किया । परन्तु घेलकश अपनी घनी भौंही कै नीने से ध्पारिति पूरक उसकी अर देखता रद! पर उमसफा दाय 'घौर सनदूसी से पफद़ कर कसा गया: 'नुझे धपका मत दो ! में धपनी पूरी यात कह कर 'घला जाऊं गा ! अप्पा 'पय यह धसारी कि सुम्दारे दिन ससे कट रहे हैं । थाल बच्चे ठीक हैं मे घमसतों चपॉर्घों पर प्यंग्य के साथ हंसते हुपे उसने फटा, मैं यह॒न दिनो से तुम में मिरना पाए रहा था परन्तु इधर पहुत ब्यरठ रहा-- सर सोने से... *यष्दा, सर्दा ! यद मय धफयास धन परो ! घपने सफाफों को रने दो. मौपान । में सुस्यारी स्योपढ़ी सर्म फर दुसा घगर सुम मरहीँ गए सो , या ' सम नुस्यापा हरदा सइकों मौर मझानों में चरी यनने का है 7!




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