घंटा | Ghanta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)5 घण्टा &
“बिलकुल झूठ !” मूछोंपर हाथ फेरते महाराज संग्रास-
सिंह बोलें,-- हमारे देशके रहने बाले आये हैं. ओर बुज-
दिल्ली, शरीरका मोह, गुलामी आय जानते ही नहीं |”
मांशियर मोपले महाराजके तीव्र खण्डनसे विचलित
न हए । |
“आये ? और हिन्दोस्तानी ? आप भी खूब फर्माने
लगे । श्रीमान् ! आये गोरे होते थे--आठ फ्रीट ऊँचे, बली
ओर सुन्दर होते .थे। पुराने यूनानी या आजकछके
जमन छोग जैसे है--बैसे होते थे ।”
“मगर, मगर में आर्य-कुल-मातेण्ड, महा-साहेश्वर
महाराज संग्रामपुर हूँ...” मोपकेके कानोंमें गोया महा-
शजको बातें पड़ीही नहीं |
“आपके हिन्दुस्तानी, जेबी कुत्तोंकी तरह कुत्ता-बंश-
कलंक होते दे । जरूरतपर न तो जोरसे भूक सके ओरन
कर 1
महाराजको फ्रेंच साहबकी बातें अच्छी न छगीं ।
नशेबाज राजा केवल चापलूसी सुन-सममझ सकता है।
सच, सादी बात उसके लिये टेढ़ी खीर है | तहजीबको
रू, सुन्दरीको बराङूगीर कर श्रीमान् एक-ब-एक उठ
खड़े हुए ।
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