विनय पीयूष | Vinay Piyush
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.38 MB
कुल पष्ठ :
620
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)न्न्ै
भूमिका श्रीराम दरण मम श्द
अर्थ गो ही ्य्य ध्वस्त बर्थ कि
अत» आल कमाना हि हा
जो हिन्दी माषासे अनभिश हैं. और अन्य भाषाओंके विद्ान् हैं,
उनका काम विशेषतर इस दशाद्वार्यसे चल जायगा । फिर तो पद्यार्थ
और मावाय वे लगा लेंगे और गृूढ़ विषयॉपर प्रकादा डाल सकेंगे |
दासकों न तो साहित्यकाद्दी ज्ञान दे. और न ब्रजमाषा, अवधी भाषा
आदिका । इसकेलिये तो दास लाला भगवानदीनजी आदि टीकाकांरोंका-
दी सदा कृतश रदेगा ।
शद्वाथके बाद पथार्थ दै । उसके पश्चात् फिर शब्दों, बाक्यों और
सुदावरोंके विशेष भाव टिप्पणियोंमें दिये गये हैं ।
कठिन प्रसंगोंमें जहा जहा कठिनाइयोंका सामना पढ़ा, दासकी
( श्रीसीतारामकूृपासे ) जो समझमें आया वह लिख दिया दे ओर
मावार्थान्तर वा. मर्थान्तरमें अन्य टीकाकारोंके अर्थ आर भावभी दे
दिये हैं । हमारा काम किसीका खण्डन करना नहीं दे । सभीने जो
लिखा हैं वद अपनी-अपनी समझके अनुसार उचित और बहुत अच्छा
लिखा दे । गलती प्रत्येक मनुष्यसे हो सकती है ) हमने जो भावार्थान्तर
सब टीकाकारोंके दिये हैं, वे इसलिये कि जो पाठक तुलनात्मक अभ्यास
करना चादते हों उनको सहायता मिलें । वे स्वयं विचार करें और जिसे'
उत्तम समझे उसे ग्रहण करें | कर
कथाएँ जो हमने इसमें दी हूं, वे सब प्रामाणिक दी हैं। स्वयंसी
पुराणों, रामायणों, इतिहासों और पश्चिकाओं इत्यादिको पढ़कर उनसे
उदृघ्त की हैं ओर प्रमाणभी लिख दिये हैं । इसमें गणेशजी, सूर्यमगवान्,
यद्र, भेरव, गंगा, गुणनिधिद्धिज आदिकी कथाएँ जो दी गयी हैं वे
अबतक किसीमी प्रकाशित और अप्रकादित पुस्तकोंमें देखने और
सूननेमेंभी नहीं आयी होंगी । साथद्दी जो कथाएँ: टीकाकारोंने दी हैं
उनकामी संक्षिस उछेख कर दिया गया दे |
गोस्वामीजीकी संगीत कलाकी परिचयचार्तामी स्थल स्थलपर
दृष्टिगोचर करायी गयी दे |
श्रीगणेशजी, सूर्यनारायण और दिववेघ आदिके आध्यात्मिक
रहृस्यभो जो महानुभावोंने लिखे हैं, इसमें उद्धत कर दिये गये हैं ।
बल धथ्लाि भि
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