शंकराचार्य के विशेष परिप्रेक्ष्य में स्वामी विवेकानन्द की कृतियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Shankaracharya Ke Vishesh Paripakshya Me Swami Vivekanand Ki Kratiyo ka Vishleshanatmak Adhyayn

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Shankaracharya Ke Vishesh Paripakshya Me Swami Vivekanand Ki Kratiyo ka Vishleshanatmak Adhyayn  by असीम श्रीवास्तव - Aseem Shrivastava

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प़ क्योंकि संस्कृत विषय में दर्शनवर्ग में ये ग्रन्थ पाठ्यक्रम के अन्तर्गत ही पढ़ाए जाते हैं | विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान मुझे वेदान्त पर विवेकानन्द की पुस्तक-पुस्तिकाओं को पढ़ने का मौका मिला। इससे पूर्व मुझे स्वामी विवेकानन्द के दार्शनिक विचारों के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी हालाँकि मैंने उनके संक्षिप्त जीवन चरित तथा राजनीतिक व सामाजिक विचारों को थोड़ा-बहुत पढ़ा था। जिसके कारण मेरे मन में स्वामी जी की छवि एक देशभक्त तथा प्रबल राष्ट्रवादी के रूप में अंकित थी। मैंने धीरे-धीरे उनका समग्र उपलब्ध साहित्य पढ़ लिया। इस अध्ययन से मुझे तीन बातें स्पष्ट हुई - 1. स्वामीजी मूलतः एक दार्शनिक थे सामाजिक व राजनीतिक विचारक नहीं । 2. स्वामीजी अद्वैतवेदान्ती विचारक थे उन्हें सांख्याचार्य या बौद्ध समझना भ्रामक है| 3. अद्दैतवेदान्त पूर्णतः व्यावहारिक दर्शन है और इसे दैनिक जीवन में उतारा जा सकता है। जब इन बिन्दुओं की चर्चा मैंने अपने पिताजी से की तो उन्होंने मुझे स्वामी विवेकानन्द के दार्शनिक विचारों पर शोध करने को कहा। और मैं शोधकार्य की ओर प्रवृत्त हुआ। मेरे प्रति अनुजवत्‌ स्नेह रखने वाले परमादरणीय डा रामसेवक दुबे ने मेरा शोध-प्रबन्ध-निर्देशक बनना स्वीकार कर लिया। और फिर उनके शुभाशीर्वादस्वरूप मेरा शोधकार्य शुरू हो गया।




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