शीघ्र बोध भाग - 8 | Shighrabodh Bhag - 8
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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गच्छीय मुनि - Gachhiy Muni
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श्री ज्ञानसुन्दरजी - Shree Gyansundarji
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थोक्डा न० ४५ ७
(१४) औदारीक काय योग, वेक्रीय काय योग, चार मन का
और चार वचन का एप १० का उत्कृष्ट योग पररपर
तुटय ओर १३ वें बोल से अस० गुणा ॥ इति॥
सवमते सेयभते कमेव सचम्।
थोकडा नं० ४.
श्री 'मगवती सत्र श० २५-३० २,
( द्रव्य )
दब्य दो प्रकार के टैं। जीउ द्रव्य और अजीव दृव्य। जीव
द्रव्य कया सस्याता हें, अ्सख्याता है या अनन्ता है * सख्याता,
असस्याता नहीं रिन्तु अनन्ता है क्योंकि जीव श्रनन्ता है
इसी वाम्ते जीय द्वब्य भी अनता है।
अजीब द्रव्य क्या सस्याते, असरयाते या श्रनातेहैं?
सख्यते, असम्याते नहीं কিন্তু নবি ই क्योंकि अजीव द्वत्य
पाच हैं। घर्माश्तिताय, अधर्मास्तिकाय असस्यात परदेसी है ।
आकाश श्रीर पुद्धल के अनते अदेश है और काल वर्तमान
एक समय दै, मून, भवीप्यविक्ता श्रनन्ता सगय टै इस वाम्ते
श्रडीत द्रव्य श्रनन्स है
जीए द्वव्य अतीर লেট কান গার, যাব ল্য जीय व्रय
के काम शत ” जीव द्वय अतीय द्रव्य के काम उहीं शातरे फिसु
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