मुर्ख मंडली | Murkh Mandali

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Murkh Mandali by पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अक--पहला दृश्य १७ गोपाल०--लड़की को अगर देखना चाहें ? भगवती ०---अभी !--नहीं साहब दो दिन सबर करना होगा | दो दिन के बाद ही प्रसव होगा । गोपाल०--प्रसव होगा ? तो क्या लड़की के गर्भ है ? भगवती ०--आप कहते क्या हें साहब ? ऐसी लड़की के साथ आपका ब्याह कराऊंगा ? आपने क्‍या मुझे ऐसा आदसी समझ रकखा है ? मेरे कहने का मतलब यह है कि लड़की अभी पेदा नहीं हुईं है यही दो-एक दिन में पेदा होंगी । गोपाक्ष ०--( श्यामलाल से ) इस तरह के रल और ` तुम्हारे यहाँ कितने हैं ? श्याम ०--कितने चाहते हो ? गोपाल्०--इसी तरह की कोई एक लड़की न ठीक कर दो । श्याम ०--इसी तरह की दाढ़ी-मूछवाली ? भगवती ०--( एंकाएक ) हो गया हो गया ! और एक लड़की हे । लेकिन हा, उसकी उमर कुचं ज्यादा ह- गोपाल०--कितनी उमर है ? भगवती ०---बहुत आधेक नहों। यही पंतालीस व लगभग होगी । द श्याम ०--रह ने दो ! ज़रूरत नहीं है ! अब उठो। मोहन ०--कितना दिन चढ़ा है ? भगवती की घड़ी




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