युग - युग की कहानियाँ | Yug Yug Kii Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, समकालीन / Contemporary
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.85 MB
कुल पष्ठ :
66
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पड़ोसियों के साथ शांति बनाये रखनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि उसके राज्य में कोई ऐसा तो नहीं है जिसके पास भोजन कपड़ा या रहने की जगह नहीं है। इसमें भी जरूरी यह है कि लोगों को बोलने की आजादी हो और वे राज्य-व्यवस्था की आलोचना निर्भय होकर कर सकें जिससे कि राजा स्वेच्छाचारी न बन जाये। इस बुद्धिमती राजकुमारी की बातें सुनकर यम मन ही मन उसको प्रशंसा करते हुए बोले बिल्कुल ठीक कह रही हो तुम। न्याय और स्वाधीनता की परंपरा पुस्तकों में लिखे कानूनों से कहीं ज्यादा बड़ी है। सावित्री ने कहा और इसके लिए यह आवश्यक है कि राजाओं के वंश बिना किसी विध्न-बाधा के चलते जायें उत्तराधिकार का सिलसिला कहीं न टूटे। है न? अवश्य यम ने कहा। अगर उत्तराधिकार के सिलसिले में गड़बड़ी हुई तो अराजकता फैलेगी संबंधियों में आपस में युद्ध होगा। सावित्री ने अचानक मौन साध लिया। उसके चेहरे पर निराशा और उदासी छा गयी उसके कंधे झुक गये और उसकी सुंदर आंखों से आंसू टपक पड़े। यम ने आश्चर्य से पूछा क्या हुआ सावित्री ? आप इतने बुद्धिमान हैं सर्वज्ञ हैं सावित्री ने ठंडी सांस भर कर कहा। मुझे विश्वास है कि आपने मेरे मन की बात समझ ली होगी। यम भौंहिं सिकोड़कर सोचने लगे। सावित्री क्या सोच रही है यह समझने की कोशिश करना वैसा ही था जैसे तूफान में हवा को दिशा का अनुमान लगाना । सावित्री ने धीरे से कहा मैं सोच रही थी कि मेरे बाद इन दोनों राज्यों का कोई शासक नहीं होगा। मेरे पिता और मेरे ससुर के वंशों का कया होगा? मेरी मृत्यु के बाद कितनी अराजकता फैलेगी संबंधियों में युद्ध होंगे --यही शब्द थे न आपके? सड़कों पर रक्त की नदियां बहेंगी नगर उजाड़ हो जायेंगे फसलों को 15
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