स्पर्द्धा | Spraddha

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Spraddha by सेठ गोविन्ददास - Seth Govinddas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्पद्धा खान-- लीजिए, जनाव, हमारे क्व में तो शायर भी मौजूद है । गज्ञव की उपमा কী ই, मिस्टर अग्निहोत्री | वर्मा--अरे, मिस्टर अग्निहोत्री ही तो आज के सच्चे হী ই। [र खान--यह कैसे १ क वर्मा--अपने जूनियर को बचाकर ये वीरता न दिखार्थेगे १ जान--उनका बचाव करना तो हर मेम्बर का फ़ है | वर्मा--यह क्‍यों ! | [सि | खान--इसलिए कि आदमियों का काम ही औरतों की हिफ़ाज़त करना है। = वर्मा-और शर्मा पर जो उससे कहीं धृशित श्राक्तेप हुए हैं ! द मजूमदार--देखो, महाशय लोगो, दोनों का बिरुद्ध जो टो बिज्ञापन निकला है उसमें किसी का नाम नेई है। : * हम लोग कैशे कह शकता है कि मिस्टर शर्मा ने मिश ऊंष्णाकुमारी का बिरुद्ध बिज्ञापन निकाला और ` ~ मिश ऋृष्णाकुमारी ने मिस्टर शर्मा का बिरुद्ध ! वर्मा--पर, मेरा तो इस संबंध में मत ही दूसरा है । खान-वह क्या प | वर्मा--इस प्रकार का अपवाद समाज का सच्चा जीवन ..._ है। समाज से अपवाद निकाल दीजिए, बस, समाज १० এপি




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