धर्म नीति | Dharm Niti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नीति-धमं
क.
प्रारंभ
जिस वस्तुसे हमारे मनमे अच्छे विचार उठते
हो वह हमारी नीति, सदाचारका फल मानी
जाती हे । दुनियाकं साधारण शास्र बताते है कि
दुनिया कंसी ह । नीतिका मागे यह वताता ह कि
दुनिया केसी होनी चाहिए । इस मागेके द्वारा हम
यह् जान सकते हे कि मनुष्यको किस तरहु आचरण
करना चाहिए । मनुष्यके मनके भीतर सदा दो दर-
चाजे होते हे--एकसे वह यह देख सकता है कि वह
खुद कैसा है, दूसरेसे उसे केसा होता चाहिए इसकी
कल्पना कर सकता है । देह, दिमाग और मन तीनोको
अलग-अरग देखना-समभना हमारा काम हैँ। पर
इतना ही करके रक जाय तो इस प्रकारका जान प्राप्त
कर लेनेपर भी हम उसका कोड् लाभ नही उठा सकते ।
अन्याय, दुष्टता, अभिमान आदिका क्या फक होता
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