धर्म पालन दूसरा भाग | Dhrama Paalan Dusra Bhaag

Dhrama Paalan Dusra Bhaag by मार्तण्ड उपाध्याय - Martand Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) बात थी ही' नहीं। जब में वहां था तब वायसराय ने मुझसे कहा कि जिना' साहब यहां आ गये हें, उनसे मिल लो। तो में मना कंसे करता? में वह आदमी रहा जो जिना के घर भी चला जाता है। हम मिले और यह ठहरा कि बादशाह खान भी मिलें तो अच्छा। और कल शाम को तो हमें फिर वायसराय के पास जाता था। पर बादशाह खान तो मिस्कीन आदमी ठहरे। वे गरीबों की सी. मोटर में बंठकर देवबन्द चल दिये। इसलिए वहां से लौटकर आने में उन्हें तीन घंटे के बजाय पांच धटे लग गये ओर हम कल शाम वायसराय के पास नहीं जा सके। आज वायसराय चले गए पर उनके दिल में था कि हम मिलें तो अच्छा। सो छा इज्मे के पास हम साढ़े चार बजे गए। इसका नतीजा यह हुआ कि बादशाह खान जिना साहब के घर पर उनसे मिलते गये हें और अभी वे वहीं पर हैं। “इस पर भी हम बड़ी लम्बी-चोड़ी आज्ञा्यें न बना लें कि चलो अब सब भला हो गया। पर पाकिस्तान का जो जरम हो गया हं उसके ओर भी गहरा हो जाने से रुकने की आद्या तो हम कर सक्ते हं । हमारा काम तो प्रयत्न करने का हैँ, इसलिए बादशाह खान कायदे- आजम के मकान पर चले गये हें। लेकित फल देना ईश्वर के हाथ की बात हे। हम प्रार्थना करें कि अच्छा परिणाम आ जाय। “और वह अच्छा परिणाम कौन-सा हो सकता है ? सीमाप्रांत में जो सब पठान हैं वे एक हो जायं। पठान तलवार बाज होता है। कोई पठान ऐसा नहीं होता जो तलवार और बंदूक चलाना न जानता हो) पीढ़ी-दर-पीढ़ी पठान खून का बदला लेता रहा हैँ । पर बादशाह खान ने देखा कि हथियारों की बहादुरी से भी ज्यादा बुलंद मरकर स्वरक्षा करने में हैं। बादशाह खान का खयाल था किं पठान लोग यह ऊंची बहादुरी अपना लें और एक होकर सबकी खिदमत करें। पर यह ख्वाब पूरा होने से पहले वहां यह जनमतसंग्रह का झगड़ा फैल गया । “कुछ कहेंगे हम पाकिस्तान के साथ रहेंगे, कोई कहेंगे कि कांग्रेस के साथ रहेंगे। और कांग्रेस तो आज बदनाम हे कि वह हिन्दुओं की हो




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