हिंदी नाटकों में भारतीय संस्कृति का स्वरुप | Hindi Natako Mein Bhartiya Sanskriti Ka Swaroop

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Book Image : हिंदी नाटकों में भारतीय संस्कृति का स्वरुप  - Hindi Natako Mein Bhartiya Sanskriti Ka Swaroop

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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'पिकृष्ट समकने का' प्रवुत्ति लथा' मेद-माव को समाष्त करने का प्रयल्न किया गया' । मुर्ति-पुजा लथा अनेक ईश्वर्वाद के स्थान पर श्केश्वरबाद को स्थापना का प्रयत्न किया गया | मारतवासियों ने बड़ों संस्था में इस यर्म कौ गृहण पकिया । आर्य समाज ने बहुत से हिन्दुओं को मुसलमान और इंसाई धर्मं गृण काने से रोक्षा | जिन अत्पसंख्यक छोगों ने ईसाई ध्म मृण कए लिया था, उन्होंने पुनः पहिल्डू धर्म स्वोकार भर लिया । इस प्रकार জাত লাজ ল সুর वैदिक धर्म का प्रचार किया | শ্িদীী কত सोसायटो सन्‌ १८५८५ मे व्कैवट्स्को' ने अमेद्िका' के नगर न्यूयार्क में सर्वप्रभ थियोसोफिकल सोसायटो को नोब তাভতী | भारत में इसका পক सन्‌ १८६३ में स्नोजेसेण्ट मे ककिया। । इस सोसायटों ने भारतोय गरिमा तथा पाथोन धर्म का गुणगान सिया । ঢাশীল শ্িল্ছু धर्म और संस्कृति के भुख्य एौएल्बों और विश्लेषताजों के गौरवमय स्वन्प को सामने रखकर शस संस्था ने विदेशो' सम्यता से प्रभावित छोगों को अपनो सभ्यता औौर संस्कृति को' সিজন को ओर देखने को बाध्य किया | परिणामतः अन-मानस में जपनों' संस्कृति के प्रति अनुराग तथा गर्व का भाव उत्पन्न हुआ | रामकृष्ण' मिशन स्वामो विवेकानन्द ये गुर रामकृष्णः परमक्ष्य को शिक्षाजों के प्रसार रवं पदाः के खिट सन्‌ १६०६० में ˆ रामकृष्ण मिशन ` को स्थापना फो | इसफे मयघ्यपसेदेशको धार्मिक असाशिष्य[सा,विजरमंता, आत्दि को दुर्‌ कले का प्रयास कयि मया । उस सश ने दिन्द्र जतां नवसागरण- का सल्देश ' दिया तथा आध्यात्मिक और नैतिक उल्कान का पथ प्रशस्त किया । स्वामी सिवेकानन्ध ने साएत में हो नहों,प्रत्युत बिदेश में भो বহার सया उपनिशदों में प्राप्त आत्मज्ञान का सम्देश िया । इस मिशन को मुख्य शिक्षा है --




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