स्वतंत्र चिन्तन | Swatantra Chintan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह. स्वतन्त्र चिन्वम आओौर किसीके मी कथनका केबल इस लिए खण्डन नहीं करता कि वह जीवित है। उसके लिए. किसी भी कथनका मूल्य इसी बातमें है कि वह कितना तकानुकूल है। वह्द यह नहीं द्वेखता कि बात किसने कही है। बात कहनेवाला एक राजा भी हो सकता है, एक गुलाम भी हो सकता है--एक दशेनिक भी, एक नौकर भी। इससे कथनकी सत्यता अथवा तर्कानुकूलता न बढ़ती है, न घटती है। कथनका मूल्य कहनेवालेके यश अथवा पदसे सर्वथा स्वतन्त्र है| केवल झूठकों ही यश और पदकी तथा वर्दियों और बड़ी पगड़ियोंकी सहायताकी आवश्यकता होती है। जो बुद्धिमान्‌ हैं, जो वास्तबमें ईमानदार और विचारान्‌ है, वे संख्यासे अथवा बहुमतसे प्रभावित या शासित नीं होते । वे उसीको स्वीकार करते ह जिसे वे वास्तवे विश्वास करते है कि यह सत्य द । उने पूर्व्जोकी सम्मतियोकी कुछ परवाह नदीं दती, मर्तोकी कुछ परवाह नही होती, सिद्धान्तोंकी कुछ परवाह नहीं होती यदि वे उन्हें अपनी बुद्धिके अनुकूल नहीं जैंचते। सभी दिद्याओंमें वे सत्यकी खोज करते हैं, और जब वह उन्हें प्रास्त होता है तो आनन्दके साथ स्वीकार करते हैं--अपनी पहलेकी काल्पनिक सम्मति- योंके बावजूद--पक्षपात और घृणाके माबोंके बावजूद । ईमानदार और बुद्धिमान आदमियोंका एक यही रास्ता है। उनके लिए. और दूसरा कोई रास्ता है ही नहीं। मानव-प्रयत्नोंकी सभी दिशाओंमं आदमी सत्यकी खोजमें लगे हैं- यथार्थ बातोंकी खोजमें | राजनीतिज्ञ संसारके इतिहासकों पढ़ता है, सभी जातियोंकी संख्या-गणनाका संग्रह करता है, इसलिए कि उसकी अपनी जाति अतीतकी गछतियोंसे बची रहे। भूगभ-वेत्ता यथार्थ बातोंकी जानकारीके लिये चट्टानोंमें वैठता ईै--पर्बतोपर चद्ता दै, अवियमान ज्वाकामुखी-पर्वर्तोको देखने जाता है, द्वीपों तथा महाद्वीपोंको लॉघता है--इसलिए कि उसे संसारके इतिहासका कुछ पता छग जाय । वहं सत्य चाहता है । रसायनशालरश, चीज गरानेके पात्र ओर नठीके साथ असंख्य तज करके पदार्थोंके गुणोंका पता लगानेका प्रयत्न करता है--प्रकृतिने जो कुछ छिपाः रखा है उसे प्रकट करनेका ।




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