भारत के प्राचीन राजवंश | Bharat ke Prachin Rajvansh

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Bharat ke Prachin Rajvansh  by श्रीयुत विश्वेश्वरनाथ रेउ - Shri Vishweshwarnath Rau

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पद्ायक-घन्थसूची | स्य्ज 2 इस अझन्थके लिखनेसें जिन जिन पुस्तकों, पत्रों और रिपोर्टो आदिसे मदद ली गई है, उनके नाम नीचे दिये जाने हैं:-- ऐतरेय ब्राह्मम, लाटायन श्रौतसूत्र श्रीमद्ागवत, सत्स्यपुराण, विष्णुपुराण चायुपुराण, 'ब्रह्माण्डपुराण, सहासारत, मनुस्सति, अषाव्यायी, सहासाध्य, राज- तरंगिणी, वाराही संहिता, शब्दकल्पड्ठम, हम चरित, कथास रित्सागर, शकुन्तला, .माठ्विकाशिमित्र, सुद्राराक्षस, विक्रमोर्वशी, अर्थशाल्न ( कौटिल्य ), रघुवंश, मेघदूत, पार्थ्यीभ्युदय, भट्टि, पराक्रमवाहुचरित, प्रियदार्शिप्रशस्तयः , अशोका- चदान, परिशिष्रपर्व, दिव्यावदान, गाथासप्तगती, दौपवंश, महावंश, मलिन्द- पहो ( मलिन्द्प्रश्न ), चाणक्यनी चलुराई, मेंगस्थनी जका भारतवर्षीय वर्णन, फाहियान, भारतकी प्राचीन सभ्यताका इतिहास ( रमेशचन्द्रदत्त ), भारतके प्राचीन राजवंश ( प्रथम भाग ), प्राचीन लिपिमाला, सरस्वती, नागरोश्रचारिणी पत्रिका, जैनहितैषी । का वडी। छि०ण० ६5, वै०पाएएवां, एफणाड, डॉपट, द. छिएााथुजाघ. 1तीं089.. 2 पाता ठैएघंपुप्राप, 3 [०पत्प्8ी ०५४] .डांधधिंट 500ंढ४, 1,000, 4ूँ. ड ०0पए081 ि0ए 98.9 छिप्दाए दी ररि0प्रथ] ठै 58 नि 500, ह॒ कणों छिलाइच अंघिट 50०0ंढाए, 00८0८. 6 पु०पाफध छक्का शत (पां3६ २०५७20० 500 मर जू०प्ाघ छिप्रघछका का (0ंदापध हि८५60८1 पा5घ0८ए:6, 10019, 8 &+८92600ट्टांप्छ इपाएए७४ 0 10018. 0 &उटा9,6010्ी ०9 5पाएए6प ि6[0018. 0 1: 0 ऐरें०तिहाए ए50पंफनिंणा5 (8, 1०0 कक कं डॉ:- 0 5०पिलप पाएगा (8, विधा) इ2 (०णफप5 दा50एए8ि00पाए कतार एाए, फ्णी,, पा, दूं (पछध&. फ्रा5- एएाफधि0ए5)- 5 (ाफ़ग्णाण0हुप् 0 पाठांघ (08611 12), कब किघएफ निाडिणिए 0 पता (४. है, 5प्रधिि, उ 0णिव छाइईपणए 0 पप्रताघ (४. 2. उपाधि,




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