मानिनी गोपा | Manini Gopa
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका १५
“साथी--भूल से समझ बैठा था कि आज़ादी मिल
गई है । विचार-स्वतन्त्रता और सत्य की बेड़ियाँ
काटकर ग़रीबों की आवाज़ बृखन्द करने लगा ।
हड़तालें हुई; मिल ठप्प थी, रेलों के चक्के
जाम हो गये ओर जनता कौ वृन्दं आवाज
से आकाश फटने लगा । भवसरवादी सफ़ेदपोश
घबरा उठे, उनकी कुसियाँ उलटने लगीं । और,
मोटे पेट का पाती सूखने छगा । बस, फिर क्या
था, अँग्रेंज़ों जैसा दमन-चक्र चला, विचार-
स्वतन्त्रता का गला घोट दिया गया मौर सत्य
के हाथों में हथकड़ियांँ और प॑रों में बेड़ियाँ
डाल दी गई ।. . . .में एक भयंकर राजद्रोही
ठ | 11
ताड़-पूड़
(ताड़-गुड़” (१६५०) प्रचार की चीज़ है, जिसमें
ताड़-गूड़ की उपयोगिता, महत्त्व, छाभों को नाठकत्व
प्रदान कर दिया गया है । इसका प्रधातल पात्र सम्पादक
कहता है--
'ताड़-गुड़-उद्योग 'अधिक भन्न उपजाओ आन्दोलन
का सहायक है । गन्ने की काश्त पर ताड-गृड उद्योग का
सीधा प्रभाव यह पड़ेगा कि किसान सेतो मेँ गन्ना बोन के
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