श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान भाग 5 | Shri Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Vol-5
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
306
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं. शोभाचंद्र जी भारिल्ल - Pt. Shobha Chandra JI Bharilla
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[११४१ ] | व | आयुष्य बन्ध :
प्रश्त- भुवन् ! इसका क्या . कारण ह ऊ यवत्-
देदायु बधंकृरं देवा ब उत्पन्न होतो हं ? |
` उत्तर--गमोतस ! बालू पंडित मनुष्य तथारूप भ्रमण
[ माहन के पास से एक भी धारसिक ओर आये वचन
তন कर, धारण, करके, एक देश से व्रत होता है आर
. एक देश से बरत नहीं हाता । शक दश से प्रसारझ्यात
करता है आर एक देश से अत्याह्यान, नहा करता হন.
। लिए गांतम ! देशातरति आर देश प्रयाख्यान के कारण
पह नारकायु का बंध नहा करता आर .यावत्ू-दुवायु নাশ
আজ হুনা'দ उत्पन्न होता হই । इसा सिर प्रकते कथन्
किया ই। `
ह च्याख्यान-- ~ . ..
. सातवें उद्देशक मे गम आर जन्म का अधिकार कहा है
फिन्तु गे ओर जन्म आयुष्य के बंध बिना नहीं हो - सकते ।
अतएव आठवें उदेशक में आयु का विचार किया. जाता ই।
इसके अतिरिक्त संग्रहगाथा में, आठवें उद्देशकन.में चारू-जीचों के
वणन करत् की परतिज्ञा की गड थी । अतः: आयु के साथ वाल
जीवों का भी वणन किया जायगा । 3
इस आख्य उदंराङ का उपादूधात सयाजगृह् नगर, गुणान्न
` जाग के समवसरण से होता है ।
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