श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान भाग 5 | Shri Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Vol-5

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Shri Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Vol-5 by पं. शोभाचंद्र जी भारिल्ल - Pt. Shobha Chandra JI Bharilla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[११४१ ] | व | आयुष्य बन्ध : प्रश्त- भुवन्‌ ! इसका क्या . कारण ह ऊ यवत्‌- देदायु बधंकृरं देवा ब उत्पन्न होतो हं ? | ` उत्तर--गमोतस ! बालू पंडित मनुष्य तथारूप भ्रमण [ माहन के पास से एक भी धारसिक ओर आये वचन তন कर, धारण, करके, एक देश से व्रत होता है आर . एक देश से बरत नहीं हाता । शक दश से प्रसारझ्यात करता है आर एक देश से अत्याह्यान, नहा करता হন. । लिए गांतम ! देशातरति आर देश प्रयाख्यान के कारण पह नारकायु का बंध नहा करता आर .यावत्‌ू-दुवायु নাশ আজ হুনা'দ उत्पन्न होता হই । इसा सिर प्रकते कथन्‌ किया ই। ` ह च्याख्यान-- ~ . .. . सातवें उद्देशक मे गम आर जन्म का अधिकार कहा है फिन्तु गे ओर जन्म आयुष्य के बंध बिना नहीं हो - सकते । अतएव आठवें उदेशक में आयु का विचार किया. जाता ই। इसके अतिरिक्त संग्रहगाथा में, आठवें उद्देशकन.में चारू-जीचों के वणन करत्‌ की परतिज्ञा की गड थी । अतः: आयु के साथ वाल जीवों का भी वणन किया जायगा । 3 इस आख्य उदंराङ का उपादूधात सयाजगृह्‌ नगर, गुणान्न ` जाग के समवसरण से होता है ।




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