अनोखा हिंदी रूपान्तर | Anokha hindi Rupantar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय १७ हु उन्नति थी उलटी तरफ की, सर्वोत्कृष्ट रचना, किन्तु पीछे की तरफ | कुरूप बनाना मनुष्य को पतित करता है। उसकी शक्ल विगाड़कर उसकी झसलियत्त विल्कुल छिपा दी जाती थी । उस समय के कुछ जर्राह मानवीय चेहरे से ईरव रीय स्वरूप मिटा देने में गज़व का कमाल रखते थे । इस विद्या के मु्ाविक झ्रादमी ऐसे बना दिये जाते थे कि उनका जीवन भद्दे ढंग का श्ौर सरल हो जाता था । वह उन्हें तो दुःखी बनाता था, लेकिन उनसे दूसरों का मनोरंजन भी करवाता था । दे मनुष्यों को वीभत्स वनाने का यह व्यवसाय वहुतत बढ़ा हुम्रा था झ्रौ ए उसकी कई शाखाएं थीं । सुनतान को उनकी जरूरत थी, झऔर पोप को भी । एक को झ्रपनी स्त्रियो की रखवाली के लिए भ्रौर दूसरे को अपनी श्रोर से ईइवर-प्रार्थना करने के लिए । ये खोजे विचित्र प्रकार के थे । इनमें सन्तानोत्पादक शक्ति नहीं रहती थी । वे मुश्किल से मनुष्य कहला सकते थे । वे विपय-वासना तृप्त करने भ्रौर धर्म के काम में लाये जाते थे । उस जमाने मे वे लोग जो चीजें बनाता जानते थे, झ्राजकल वे नहीं चनती हैं । उनको विद्या श्रव नहीं रही है । हम श्रव जिन्दा ग्रादमी के गोश्त वी दिल्पकारी नहीं जानते, यह पी डा देने की विद्या के लोग हो जाने का रिणाम है । प्रादमी एक जमाने में इस विद्या में निषुण थे किन्तु अत्र नहीं रद । उस जमाने की जिन्दा श्रादमियों की चीरफाड़, केवच बाज़ार के लिए भांड, महनों के लिए विट्पक (जो कि दरवारियों की एक किस्म है) श्रौर सुनवान तथा पोप के लिए खोजे बनाने तक ही सी सिंत नहीं थी । उससे कई निस्में नेयार होती थीं । उसकी एक उत्कृष्ट क्रिया इग्नैंड के राजा के लिए मुर्गे नंपार थी । बे दंग्मूंड के राजा के महतनों में एक थिचित्र रिवाज था । वहां एक ऐसा र रखा जाता था, जो मुगे के समान वांग देता था । जब लोग सोतचि चौकीदार जागता था । हर पंटे पर जितना वजा हो, उतनी ही 1 था घौर इस प्रकार घड़ो का काम करता था । जो द्ादमी पद पर तेनान होता था, उसका कांग बचपन में हो काठ दिया जाता से छ्रिपा के कारण मंह से थक यहता रहता है । इसे देवकर इंपलेड जा चार्ट्स ट्विवीय के समय पोर्टस मय दे बड़च घणा उस मु्ग को नो हटा दिया गया, विन्त बह पद कायम रखा गया ताफि राजा की दान में दट्टा न लगे चौर उसके स्पन पर सुर्गे का काम 4 उप री, |, नाव “ले लय 4 4 दर पं 7८4०5: नकल नो




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