बच्चों के लिए खेल - क्रियाएं | Bachchon Ke Lie Khela Kriyaaen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.08 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिवेश या आसपास का वातावरण वालकों के लिए किस प्रकार की खेल-क्रियाओं की व्यवस्था की जाए ? यह मुख्य रूप से इस वात पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं कहां काम करते हैं बच्चों की आवश्यकताएं क्या हैं और आपके पास क्या-क्या सुविधाएं हैं। यदि आप किसी गांव में रहते हैं तो संभवतया बालकों को दिन में भागने उछलने-कूदने के काफी अवसर मिल जाते हैं। उन्हें पेड़ों पर चढ़ने दीवारों से कूदने पास की नदियों में तैरने आदि का शायद पहले से ही काफी अभ्यास होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें ताजी हवा भी मिलती है और दैनिक व्यायाम के अवसर भी काफी मिलते रहते हैं। और यह भी हो सकता है कि उन्होंने गांव के बड़े वालकों से तैरना और कदना-फांदना पहले से ही सीख लिया हो। एसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए ? आप यह देखिए कि उन्हें किस वात की कमी है और उसे पूरा करने की कोशिश कीजिए । उदाहरणार्थ हो सकता है कि उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला है। इसलिए आप हर रोज उन्हें कुछ समय व्यवस्थित खेलों के लिए दें । इससे वे समूह का अच्छा सदस्य वनना सीखेंगे। परंतु इसे भी सदा ध्यान में रखें कि बालक स्थिर नहीं वैठ सकते । इसलिए आप अपने केंद्र पर इन खेलों की व्यवस्था करते समय यह ध्यान रखें कि उनमें शारीरिक व्यायाम जरूर हो। अगर आप किसी कस्बे या बड़े शहर में हैं तो हो सकता है कि आपका केंद्र किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर किसी तंग गली में हो। शहरों में बच्चे प्रायः छोटे-छोटे घरों में रहते हें जहां खेलने के लिए खुला स्थान भी बहुत कम होता है। यह भी संभव है कि गलियों व सड़कों पर यातायात बहत अधिक हो गाड़ियों का आना-जाना लगा रहता हो। यह भी हो सकता है कि बड़े बालक छोटे बच्चों को खेलने का कम अवसर देते हों या उनके पास खेलने की कोई उपयुक्त सामग्री न हो । ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे ? कया आपके केंद्र में कोई आंगन नहीं है ? या उसके आसपास कोई खुली जगह है ?-यदि ऐसा हो तो आप बालकों के स्वच्छंद व्यवस्थित दोनों तरह के खेलों को खेलने की व्यवस्था कर सकते हैं । उनके खेलने के लिए साधारण चीजों को इकट्ठा करके उन्हें आकर्षक रूप से प्रयोग करें । अगर आपके केंद्र में बहुत बच्चे हैं तो आप उन्हें दो या तीन समूहों में बांट कर प्रत्येक को बारी-बारी से आंगन में खेलने का अवसर दें । यदि केंद्र में आंगन नहीं है और न ही आसपास कोई खुला स्थान है तो आप सप्ताह में एक-दो बार बालकों को पास के किसी पार्क या मैदान में ले जा सकते हैं जहां वे इधर-उधर भाग सकें और व्यवस्थित खेल खेल सकें ।
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