परीक्षा गुरु | Pariksha Guru
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
104.73 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लाला श्री निवासदास - Lala Shree Niwasdas
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परीक्षाणुरु, न ८
ते ही बड़े घन्दें की तरफ देख कर कहा परन्तु थे उसकी चाल,
वी थी उसमे' से पीछा छुड़ाने के लिये अपनी घड़ी
यावी देवे के बहाने से आध घन्ट आगेदकर दी थी
ये घन्डा आध घन्ट पीछे हो” घासर शिंमदयाल
में चात साथ कर कहा
नहीं, नहीं ये घन्टा तोप से घिला इआ है” छाल सदनमोइन
चोद, दि
तो छाछा घजकिशोर साइव बी रुच्छेदार बालें नाइक
अधूरा रह थाई £” मुन्शी चुन्नीलाल में कहा
_ ब्रजकशोर की बातें बचा है यकाब का जाल है वह
याहते हैं कि के चक्कर से बाहर न निकलने पाय” मास्टर
थे कहा
लेता या न छेता पर अब उन्यदी जिद
से अद्यद कर लगा ”
अनस्सन्देद जब थे अपनी ज़िद नहीं छोड़ते तो आपको
अपनी वात हारनी क्या. जरूर है?” चुन्नीलाल से छोंटा
दीया
में कहा है “आाज्ञाठोपी सुलह को घास न नपति
प्वेनीत ॥ को बिदेष नप, सिम जो न गहे यहरीति” ॥ +
ते पुरुषासमदासने' मिलाकर कहा
बहुत पढ़ने लिखने' से थी आदमी की बुद्धि कुछ ऐसी बिर्व्
. हो जाती है कि बड़े, बड़े फिलासफर छोटी, बातों है कक खाये
मास्टर शिंमूदयाल कहने छगे, “सर आईजिक न्यूर्न
* सानज्ञा राजा न चुसेत सुतानाप । कोनु राज्य राजन शवित्रगतस्थ च पर
व न
उ
कक.
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