श्री कुञ्ज विहारी इस्म्रती सुमन | Shri Kunja Vihari Ismrati Suman
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६) श्री कुञ्जविहारी स्मति सुमन
श्री विद्यापरजी शास्त्री
चूरू का यह् पत्र उसके साहित्यिक कुछ्न मे खाण्डव दाह का सूचक पत्र
है । विहारीजी इस रीति से अकस्मात सब की आश्ञाग्रो पर तुपारपात कर के'
महाकाश में विछीन हो जाएँगे यह सभावना भी कभी किसी के मंस्तिष्क मे
नही श्राई थी । विहारीजी केवल दूसरे विहारी कवि ही नही श्रपितु प्रतिक्षण
प्रसन्न चेता और व्यक्ति को श्रपने सरस, श्रनुपम वचनामृतों से परितरप्त कर
देने वाले साक्षात् वरन्दावन कुञ्जविहारी थे । प्रत्येक व्यक्ति के प्रत्ति उनका जो
श्रगाघ स्नेह था उससे वहु यहीसममताथाकि उसके प्रति उनका श्रनन्य
भाव विद्यमान है ।
नगरश्री ने “कुञ्जविहारी स्मृति समन” के प्रकाशन का जो स कल्प
किया है वह साहित्यकार की पुण्य स्मृति मे समपित सबसे अधिक
महत्तीय पुष्पाञ्जलि होगी । मु्ले विश्वास है कि चूरू के नागरिक अपने
इस कर्तव्य पालन मे पूर्णातया परिकर बद्ध हो कर प्रकृति गति द्वारा श्रपहत
चुरू के इस महान् साहित्य साधक को सदा के लिए श्रमर कर देंगे ।
हिन्दी विश्व भारती विद्याधर शास्नी एम. ए.
बीकानेर विद्यावाचस्पति
२६-€-६८
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