भारत की आर्थिक समस्याएं | Economic Problems Of India

Economic Problems Of India by डॉ० एस० सी० सक्सेना - Dr. S. C. Saxena

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४१ ) को उप-विभाजा एवं अप-सण्टन के दोपा तथा चकवन्दी के लाभो से अवगत्‌ कराते ये। इस हेतु विभिन्न स्थाना पर सभाआ वा आयोजन किया जाता था श्रौर व्याख्याता त्तपा पारस्वरिव यातावाप वे हारा कृपयों को इस दिशा में समस्त ज्ञान प्रदान करने एवं सहरारी चक्र-वन्दी के लिए झनुरूल वातावरण तैयार करने का प्रयत्त क्या জালা খা। जब विसी विशिष्ट स्थान पर प्रनुकृत वातावरण तैयार हो जाता था, तो भूमि वी चक्‍-न्‍वन्दी वे लिये सहवारी समिति का निर्माण कर दिया जाता था। व्यवहार मे, इस दिशा मे भी अ्नक्त कठिनाइयों का झनुभव किया गया । श्री डालिंग के झब्दों मे, विभिन्न स्वार्थों का समन्वय करके प्रत्यक व्यक्ति को सन्तुष्ट करना, भन्नान वो दूर करके भ्डियल व्यक्तियों को समभानां ঘনী, হাবিলহালী হক লালা লীমী वे साथ निर्धन अशक्ति एवं थ्वान्त लोगा वा ही उतना ध्यान रणना बड़ा ही बठिन कार्य है, विशेषष र जबकि वेबल समभाना बुभाना ही हमारा साधन हो भ्रौर जिद्दा ही हमारा अस्त हो । इसके সলানা দতী- गिया दी ईर्प्यालु प्रदुत्ति एवं कृयक वा पँयूक भूसम्यति के प्रति प्रगद प्रम प्रौर अधिर वठिनाइयाँ पैशा कर दत है । ग्रत समस्त योजना पर विचार करने के उप रान्ति यदिव व्यक्ति चकबन्‍दी सुभावा को दुक्‍्रा दें, तो सारे कार्य को पुन आ्राश्म्भ से बरना पड़ेगा और इस दिश्ला से जिया हुआ समस्त्र परिक्षम व्यय जायगा । बहते का तालये यह है वि क़िसी क्षेत्र के किन्चित जिही लोगो का अल्पमत भी बहुमत में बाधा पैदा कर सबता है। इस कठिनाई दूर करने के लिय सन्‌ १६३६ में कावृन बनाया गया, जिसके प्रतुसार यदि बहुमत चक्दन्दी क पक्ष मे हा जाय, तो ग्रल्पमत उनकी प्रगति में बाधा नहीं डाल सकता । यद्यपि पजाब ने इस दिशा मे मार्ग-प्रदर्शन बरवे बड़ा सराहनीय काय किया है, विन्‍तु फिर भी सहकारी ढंग से चकबन्दी करने मे प्रयास मे अत्यन्त सीमित सफ्लता मिली है । राहवारी समितिया द्वारा चत्रक्‍न्दी के क्षेत्र में दूसरा उल्लेखनीय प्रयास उत्तरप्रदेश राज्य में किया गया है। सहःरनपुर तथा खिजनौर के क्षेत्र में सन्‌ १६२५ से सहवारी समितिया द्वारा चवबन्दी वा वार्य किया गया है। बाद স यह योजना मेरठ व वस्तो जिला से भी शुरू वी गई । मन्‌ १६३९-० म उत्तरप्रदेश राज्य में १६२ सहकारी समितियाँ कार्य बर रही थी । सन्‌ १६४७ में यह वार्य समाप्त वर दिया गया, क्‍्याकि कमंचारियों म अ्रप्टाचार अधिक बढ़ रहा था । सहवारी भ्ाधार पर इतनो लम्बी পনগ্রি মি সব ক্ষ কুল 1২০ লাজ টবের भूमि, की, दी, सहकाड़ी, विमगा, कार, चअफ़त्फदी, भी, का पम दै ५ दकार) चरबदी की गति वो तीव्र करने के उद्देश्य से सन्‌ १६३६ व १६५३ म च्वन्दी के लिए नए वानून बनाए गए। मद्रास राज्य में भी सहवारी प्राघार पर हो चस्वन्दी बाय बार्य जिया गया है, परन्तु उसवा क्षेत्र अयन्त सोमित रहा है। (३) राजकीय भ्रधिनियम द्वारा चबन्दो--चववन्दी की दिशामे जो




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