देवर्षि नारद | Devrshi Narad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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आविर्भाव और पूर्वजन्म ३
भगवत् क अवतार है ओर जगत् के परम उपकारक प्रसिद्ध है । सेवा,
पूजा, कीर्वन, प्रसाद, भक्तिप्रचार इत्यादि सव ही निष्ठाओं में
जे प्रधान हैं। पुराणमात्र भें आपकी शुभकथाएँ भरी हैं। सर्व
लोकों मे आपक्रा पर्यटन त्रैवट परोपकार के निमित्त है -यही
आपका व्रत-सा ईं }' [ `
इसमे सन्देह नहीं कि, देधप्रिं नारद, जो नामादासजी के
शब्दों में 'भगवत् के मानस अवतार हैः नवधा भक्ति के आंचायै `
है ओर् परोपकार ही के लिये वे समस्त छोकों में पर्यटन किया
करते हैं| यही नहीं-पुराणमात्र में तथा धार्मिक साहित्य एवं
ज्योतिष-शात्र भी आपकी झुभ-कथाओं, आपके अपार ज्ञान तथा
आपके अकाव्व सिद्धान्तो से पर्ण है । अतएव यदि हम नारदजी
को सरगुणाधार् भगवान् विष्णु का मानस अवतार कहें और उनको
ज्ञानभाण्डार का सर्वेसवी मानें तो भी अनुचित न होगा |
भगवान् विष्णु के इन मानस अवतार देवि नारद का
आविर्भाव कब और कैसे हुआ ? क्या उनके पूर्वजन्म का भी
कहीं कोई वृत्तान्त दै ? इन प्रश्नों के उत्तरों के विषय में, हम आगे
विचार करगे । इस समय हम यह बतला देना आवश्यक समझते.
है कि, अनादि एवं सैव्यापी भगवान् विष्णु के मानस अवतार
देवपिं नारद भी अनादि है ओर समस्त कारों म, किसी-न-
किसी रूप में इनका अस्तिल वना ही रहता है । इसीसे इनका भसित
इस समय भी माना जाता है तथा वस्तुतः है भी । श्रीमद्वाल्मीकि-
रामायण, पाशवरात्रशाल, महाभारत, भक्तिसूत्र, समस्त: पुराण
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