साहित्यालोचन | Sahityalochana

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Sahityalochana  by श्यामसुन्दर दास - Shyamsundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) विक्त पाटक जर समालोचक महोदय मुझे! इस अंथ की जुटियाँ बताकर इसके खुधारने का परामश दंगे, तो आशा है कि दूसरे संस्करण में, यदि इसका सोभाग्य इसे शीघ्र प्राप्त हो सका तो, उनसे छाभ उठाने में अपने को धन्य मानूँगा। इस ग्रंथ के पहले चार अध्यायो को कृपापृवंक पदृकर ओर उन्हे खुधारने का परामर्श देकर पूज्य पंडित महावीरप्रसादजी द्विवेदी ने मेरा बड़ा उपकार किया है; इसलिये में उन्हे हृद्य से धन्यवाद देता हूँ । यदि वे इसे छुपने के पहले पक बेर आदि से अंत तक पढ़ जाते तो में अत्यंत उपकृत होता; पर न तो उनकी अस्वस्थता के कारण मुभे उन्हें इतना कष्ट देने का साहस ही हुआ और न बाबू रामचंद्र वम्भां इसके लिये आवश्यक अवकाश देने मँ ही सहमत हृष । फिर भी में छृतशता- पूवेक इतना अवश्य स्वीकार करता हं कि शद्धेय दिवेदी जी के परामशों से मैंने पूरा लाभ उठाया है और उनके अनुसार ग्रंथ के शेष अंश को प्रस्तुत करने का उद्योग किया है । पंडित रामचंद्र शुक्ल को भी में धन्यवाद दिए बिना नहीं रह सकता। उन्होंने पूर्वांश की तैयारी में मुझे उचित परामदो देकर तथा एक बेर उसे पढ़कर मुझे; उपकृत किया है। यह इस ग्रंथ के आरंभ,प्रणयन तथा समाप्ति की कथा है। इस उद्योग में में कहाँ तक कृतकाय हुआ हूँ, यह तो हिंदी के विद्धान्‌ ही बतावेगे; पर इतना कहे बिना में नहीं रह सकता कि मुझे अपनी कृति पर सर्वथा संतोष ओर आनंद है। परंतु




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