ब्रह्मचय - साधन | Brahmacharya Sadhan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला श्रव्याय गे सैतिरीयोपनिपद्‌ में लिखा है-- आते च स्वाध्यायप्रदयने च । सत्य च स्वाध्यायप्रघचने द तपरच स्वाध्यायप्रवचने च । दमरच च । रमश्च स्वाध्यायप्रवचने च । स्वाध्यायप्रवचने थे । सम्निहोत्र च स्वाध्यायप्रवचने च । अतिथयश्च स्वाध्यायप्रवचने व । मालुप च स्वाप्यायप्रदचने च । प्रलतश्च स्वाध्यायप्रवचने व । स्वाध्यायप्रवचने च । श्र्धात्‌ यथाथे आचरण से स्वाथ्याय करे जो छुद पढ़े- पढावें समके बेसा दी झपना आचरण बनाये । सत्याचार से स्वाष्याय करे केवल निर्दोष विद्यास्रो को दी पढ़े-पढ़ावे । त्तप से स्वाध्याय करे तपस्वी छार्थात्‌ घर्मालुप्ान करते हुए को पढ़े-पढ़ावे । दम से स्वाध्याय करे चाहा इंद्रियों को बुरे श्ञाचरणों से रोककर पढ़े-पढावे । शम से स्वाध्याय करे सन की बरूत्तियों को सब प्रकार के दोपों से दटाकर पढ़- पढ़ावे । अंग्ति से स्वाध्याय करे । अ्ग्निहोत्र से स्वाध्याय किया करे ग्निहोत्र-नित्यक्मे करता हुआ स्वाध्याय करे । अतिथि से स्वाध्याय करे श्रतिथि का स्वागत-सत्कार करते हुए पढ़े-पढ़ावे । सनुष्य से स्वाध्याथ करे मनुष्यों से सदू उ्यवहार करते हुए पढ़े-पढ़ावे । प्रजा से स्वाध्याय करे संतान ओर राज्य एवं अधीनों से यथायाम्य व्यवहार करता हुआ स्वाध्याय करे । प्रजनन करता हुआ स्वाध्याय करे बीये- रक्षा और बीय॑-ूद्धि करता दुआ पढ़े । प्रजाति करते




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