नकली और असली धर्मात्मा | Nakalee Aur Asalee Dharmatma

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Nakalee Aur Asalee Dharmatma by बाबू सूरजभानुजी वकील - Babu Surajbhanu jee Vakil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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টু ( १५ ) भेड बकरी और कुत्ता बिल्ली से भी कमतर समझकर हर तरह से জলা र हिक करने गी, यहां तक किं जव शस लाड़ली बहू घे कारण उनक्रा घर मेँ वेठना भी मुश्किक होगया भौर ' उनका - जीना भी भारी पड़ गया तव तो उन सवो भै-यह्‌ ही निश्चय कर लिया किं हस भुशीवत से तो यह ही येहतर ह क्रि अरग होजावें और अगर छालाजी कु भी वाटकर नष तो भीख भांगकर ही. 1 शुंजारा फर छेवें या सिहनत मजदूरी फरके ही अपना पेट মং উর, ` | पंर इस नित्य की थूका फ़जीहदी और हाय हाय से तो वचं, जम ` | नादास ने उनकी बहुतेरा समझाया कि तुम अपनी मतेई की याते। | पर जाकर क्यो इस वेधे वंधाये धर को तेरहतीन और बाराबाट 1 करते हो, इस घर में तो जा कुछ है चह सब तुम्हारे दी वास्ते है, न मैंने कुछ शिर पर धरकर जाना है ओर तुम्दारी एस मतेई ने, हम तो रात दिन जो कुछ भी पापड़ चेरते हैं। और सौ झूंठ सच 4 बोंलऋर हजार हवूव चना कर भौर छुनियां को लूटकर खसोट कर ' छते. वह सव तुम्दारे. ही लिये कते दहै, रही तुम्हारी मतेईकी बात सौ उसकी अवहड़ मत है इस छी वास्ते बच्चों वाल़ी (जद करती , | है, बड़ी होने पर जब समझ आं जायगी तो आप ही : सीधी होज[: ' यगी और जो उसको फभी समझ न भी आधे तो भी फ्या किया जावे, , अब तो यदःझेलनीं दी पड़ेगी, अच्छा हुआ तो और घुरा हुआ. तो | : अब तो यह गले पड़ ही गई है इस वास्ते भव तो युद निमानी ही, ' पड़ेगा, तुम मुझे तो देखो में कैसो २. उसकी संहता ह& ओर ज्ञहर - का सा घंट पीकर बेठ रहता हूं, मेरे तो वहुत ही भारी पाप का -उदुय हुमा था तब ही तो मेरी अक़छ मारी गई और-इस चुंढ़ापे-में विदाह कराने की खम ओर मैंने अपने बेटों फी छाती पर. एक | डायन को छाकर बिठा दी, हा! मुंझखा भो अभागे। और घुकंसा भी || | पापी कोई हुनियां में होँग।,.और जो में अंभागा न होता.. और मेरे शरे दिन आने को न दते ओर मेरी किस्मत न॑ .फ़ूदती, तो देषी




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